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झारखंड में नागरिकता मुद्दा फेल?

ByNI Political,
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झारखंड में नागरिकता मुद्दा फेल?
ऐसा लग रहा है कि नागरिकता कानून का मुद्दा झारखंड चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद नहीं रहा है। पांच चरण का मतदान खत्म होने के बाद जो एक्जिट पोल के नतीजे आए हैं उनसे लग रहा है कि भाजपा नुकसान में है। ध्यान रहे लोकसभा में नागरिकता कानून नौ दिसंबर को पास हो गया था और 12 दिसंबर को इस पर राज्यसभा की भी मुहर लग गई थी। नौ दिसंबर के बाद झारखंड में तीन चरण के चुनाव हुए, जिनमें 48 सीटों पर वोटिंग हुई। इनमें भी बाद के दो चरण की 31 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी राज्य के औसत से ज्यादा है। इन क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ज्यादा सघन रैलियां भी हुईं। आखिरी चरण की 16 सीटों के लिए तो प्रधानमंत्री की दो रैली हुई। फिर भी अगर भाजपा का प्रदर्शन खराब होता है तो यह बड़ा झटका होगा। बताया जा रहा है कि चुनाव में मोदी, शाह या कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा नहीं चल पाया है। बिल्कुल स्थानीय मुद्दों पर चुनाव हुआ है, जिसे अपने पक्ष में करने में राज्य सरकार और प्रदेश भाजपा कामयाब नहीं हुई दिख रही है। पिछले चुनाव में भी भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। वह 37 सीटों पर अटकी थी। पर इस बार आंकड़ा 30 के पास रुकता दिख रहा है। 2014 के चुनाव में भाजपा 18 मौजूदा विधायकों के साथ चुनाव में उतरी थी और संख्या 37 पहुंची थी यानी दोगुनी हुई थी। इस बार अपने और दूसरी पार्टियों के विधायकों को मिला कर भाजपा 50 से ज्यादा मौजूदा विधायकों को लेकर उतरी है और आंकड़ा आधे पर रूकता दिख रहा है। असल में झारखंड का चुनाव शुद्ध रूप से मुख्यमंत्री के चेहरे, उनके कामकाज और उनकी राजनीति पर हुआ है। उनकी पार्टी के नेता और उनके प्रति सद्भाव रखने वाले भी मान रहे हैं कि उन्हें केंद्र व राज्य की योजनाओं को तो ठीक से लागू किया पर निजी खुन्नस में राजनीति करते रहे। एक खास जाति को तरजीह देते रहे और विरोधियों को निपटाने की ऐसी राजनीति की, जिसमें खुद निपटते दिख रहे हैं। अगर एक खास जाति पर उनका ध्यान नहीं रहता और अपने नेताओं की बजाय दूसरी पार्टियों से लाकर नेताओं को चुनाव लड़ाने की जिद नहीं करते तो हालात इससे बेहतर हो सकते थे।
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