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चुनावी और कमजोर राज्यों पर फोकस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में कई नए चेहरों को जगह मिलने वाली है। ये नए चेहर चुनाव वाले राज्यों से होंगे और उन राज्यों से होंगे, जहां भाजपा कमजोर है। भाजपा ने 160 कमजोर सीटों की पहचान की है, जहां वह पिछली बार चुनाव लड़ कर हारी थी या कम अंतर से जीती थी या सहयोगी पार्टियों के साथ छोड़ने से जो सीटें कमजोर हो गई हैं। ये सीटें जिन राज्यों में हैं वहां के नेताओं को सरकार में जगह मिल सकती है। पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों में ही ज्यादातर ऐसी सीटें हैं, जिन पर भाजपा फोकस कर रही है। मुश्किल यह है कि इनमें से कई राज्यों में भाजपा के पास सांसद नहीं हैं या मजबूत नेता भी नहीं हैं। फिर भी कुछ नेताओं को जगह मिल सकती है, जिनको किसी दूसरे राज्य से राज्यसभा में भेजा जा सकता है।

इस साल 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। उन राज्यों से कुछ नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस साल जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हैं। वहां के जितेंद्र सिंह पहले से सरकार में हैं लेकिन पिछले दिनों भाजपा ने कश्मीर के आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता को राज्यसभा में भेजा। वे अपने समाज से सांसद बनने वाले पहले व्यक्ति हैं। अगर उनको मंत्री बना दिया जाए तो हैरानी नहीं होगी। इसी तरह कर्नाटक में मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किसी चर्चित चेहरे को केंद्र सरकार में जगह मिल सकती है। तेलंगाना से लेकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नेता भी भागदौड़ कर रहे हैं। इन राज्यों के सामाजिक समीकरण को देखते हुए कुछ नए लोग सरकार में शामिल होंगे। महाराष्ट्र और बिहार पर खास ध्यान है, जहां तालमेल टूटने के बाद भाजपा अपने को मजबूत करने में जुटी हुई है।

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