पश्चिम बंगाल में भाजपा की ओर से सबसे ज्यादा प्रचार जिस नेता का हुआ वे शुभेंदु अधिकारी हैं। लेकिन अब किसी को पता नहीं चल रहा है कि वे और उनका परिवार कहां है। तीसरे चरण में उनकी नंदीग्राम सीट पर मतदान हुआ था। उसके अगले दिन से ही उनका अता-पता नहीं है। हो सकता है कि वे स्थानीय स्तर पर कहीं प्रचार के काम में लगे हों, लेकिन अब राष्ट्रीय या प्रदेश के मीडिया में उनको नहीं दिखाया जा रहा है। यहां तक कि उसके बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अमित शाह की सभाओं में भी वे नहीं दिखे हैं। ऐसा लग रहा है कि भाजपा जिस मकसद से उनको ले आई थी वह पूरा हो गया और उसके बाद अब पार्टी को उनकी कोई खास जरूरत नहीं है।
उनको पार्टी में लाया गया था कि वे मेदिनीपुर के इलाके में ममता बनर्जी के वर्चस्व को तोड़ेंगे। हालांकि ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ कर सारे समीकरण बिगाड़ दिए। फिर भी अगर उस इलाके में भाजपा लड़ती हुई दिखी तो कारण शुभेंदु अधिकारी और उनका परिवार ही था। लेकिन इसे लेकर भाजपा के अंदर बहुत विरोध हो गया था। पार्टी के पुराने नेताओं ने अधिकारी परिवार का विरोध किया था। शुभेंदु अपने को इतने जोर-शोर से मुख्यमंत्री का दावेदार पेश करने लगे थे कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को कहना पड़ा कि भाजपा की सरकार बनती है तो कोई ऐसा व्यक्ति भी मुख्यमंत्री बन सकता है, जो विधायक नहीं हो। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा नेताओं के विरोध की वजह से शुभेंदु अधिकारी को लाइमलाइट से हटाया गया है। तृणमूल से आए मुकुल रॉय पहले ही लाइमलाइट से बाहर हैं।
शुभेंदु अधिकारी कहां चले गए?
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