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वैरिएंट इंडिया में तो तथ्य कैसे रूके?

ByNI Political,
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वैरिएंट इंडिया में तो तथ्य कैसे रूके?
भारत सरकार, भारतीय मीडिया, सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा आदि सब इस बात को लेकर बहुत भावुक हो रहे हैं कि बी.1.617 या बी.1.617.2 को वायरस का भारतीय वैरिएंट क्यों कहा जा रहा है। कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने इसे भारतीय वैरिएंट कह दिया तो उनके खिलाफ मुकदमा कर दिया गया है और इसी बात के लिए भाजपा के एक सांसद ने शशि थरूर की लोकसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की है। भारत सरकार ने तमाम मीडिया कंपनियों को हिदायत दी है कि वे इसे भारतीय वैरिएंट कहना बंद करें और अगर कहीं लिखा, कहा है तो उसे हटाएं।

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हालांकि कुछ दिन पहले तक पूरा भारत देश ब्रिटेन में मिले वैरिएंट को ब्रिटिश और ब्राजील में मिले वैरिएंट को ब्राजीलियन वैरिएंट ही कहता था। सत्तारूढ़ दल के नेता अब भी इसे चाइनीज वायरस ही कहते हैं। सरकार की समर्थन करने वाली एक बड़बोली अभिनेत्री तो इसे कम्युनिस्ट वायरस बुलाती है। लेकिन वह सब ठीक है।  अब ब्राजील की सरकार ने इस वैरिएंट को भारत में पहली बार मिला वैरिएंट कहा है। यहीं बात दुनिया के बाकी देशों में या मीडिया में कही जा रही है। इसका वैज्ञानिक या तकनीकी नाम लेने की बजाय दुनिया भर में यही कहा जा रहा है कि ‘भारत में पहली बार मिला वैरिएंट’। अब सवाल है कि इसे कैसे रोका जा सकता है।

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यह बात तकनीकी रूप से सही है। उसे भले भारतीय वैरिएंट नहीं कहें लेकिन यह तो तथ्य है कि वह पहली बार भारत में मिला है। सो, दुनिया के देशों में इसे भारतीय न कह कर भारत में पहली बार मिला वैरिएंट कहा जा रहा है। इसी तरह बाकी वैरिएंट का जिक्र भी पहली बार मिले देश के नाम के साथ ही किया जा रहा है। इसलिए इस पर बहुत भावुक होने की जरूरत नहीं है।
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