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चुनाव से पहले बंगाल में माइंडगेम

ByNI Political,
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चुनाव से पहले बंगाल में माइंडगेम
चुनावी राजनीति दूसरे किसी भी खेल की तरह माइंडगेम है, इस बात को अमित शाह से बेहतर शायद ही कोई राजनेता जानता होगा और खेलता होगा। उन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव के छह महीने पहले से माइंडगेम शुरू कर दिया था। अमित शाह ने पिछले कई महीने से कह रहे हैं कि चुनाव आते आते तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी अकेली बच जाएंगी। अपनी इस बात को सही साबित करने के लिए वे लगातार तृणमूल कांग्रेस को तोड़ रहे हैं। भाजपा चाहती तो एक साथ पार्टी तोड़ सकती थी लेकिन उसने एक-एक करके विधायकों, सांसदों और नेता को तोड़ना शुरू किया है, जिससे हर दिन कोलकाता से लेकर दिल्ली तक हेडलाइन बनती है। यह हकीकत है कि 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन सीट जीतने वाली भाजपा के पास अभी 26 विधायक हैं और वह राज्य विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने के लिए भाजपा ने तृणमूल के ही नेताओं का सहारा लिया है और ऐसा लग रहा है कि तृणमूल के नेता जाने-अनजाने में भाजपा के फैलाए जाल में फंस रहे हैं। भाजपा ने तृणमूल छोड़ने वाले शुभेंदु अधिकारी को खूब बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया। हालांकि सबको पता है कि सरकार बनने की स्थिति में भी पार्टी उनको मुख्यमंत्री नहीं बनाने वाली है इसके बावजूद ममता बनर्जी उनके ट्रैप में फंसीं और ऐलान किया कि वे शुभेंदु अधिकारी की नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी। उनके इस ऐलान के तुरंत बाद अधिकारी ने ऐलान किया कि अगर ममता को 50 हजार से ज्यादा वोट से नहीं हराया तो राजनीति छोड़ देंगे। उनके इस ऐलान के बाद तृणमूल में चिंता है और ममता नंदीग्राम के साथ साथ अपनी मौजूदा भवानीपुर सीट से भी लड़ने की तैयारी कर रही हैं। अधिकारी के बाद भाजपा के माइंडगेम में अगला तुरुप का पत्ता जगमोहन डालमिया की बेटी वैशाली डालमिया हैं। वे भी भाजपा में शामिल हो गई हैं।
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