किसान सम्मान निधि का मुद्दा पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कई भाषणों में यह मुद्दा उठाया और कहा कि देश भर के किसानों को हर साल छह हजार रुपए की सम्मान निधि मिल रही है पर ममता बनर्जी की जिद की वजह से बंगाल के किसान वंचित है। उनकी अपील का असर यह हुआ है कि हजारों किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया। इस दबाव में और चुनाव नजदीक देख कर ममता बनर्जी ने किसानों की पहचान का सत्यापन करने और इस योजना में शामिल होने का ऐलान किया। हालांकि सत्यापन हो जाने के बाद भी विधानसभा चुनाव से पहले शायद ही किसानों को पैसा मिल पाए, लेकिन चुनाव के तुरंत बाद किसानों के खाते में मोटी रकम जा सकती है।
भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। पार्टी के महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि पिछले दो साल का बकाया भी बंगाल के किसानों को मिलेगा। यह घोषणा भाजपा को बड़ा एडवांटेज दिला सकती है। क्योंकि दो साल के बकाए का मतलब है कि किसानों के खाते में 12 हजार रुपए अतिरिक्त जाएंगे। अगर इसे 2021 की तीन किस्तों के साथ देने का भी फैसला होता है तो भी बंगाल के किसानों के पहली किस्त छह हजार रुपए की मिलेगी। सोचों लाखों किसानों को चुनाव के तुरंत बाद छह हजार की पहली किस्त और उसके बाद दो और किस्तों में कुल 18 हजार रुपए देने का वादा होता है तो वोट पर कैसा असर होगा? भाजपा के हाथ यह तुरुप का पत्ता लगा है, जिसकी काट ममता को खोजनी होगी।