भारतीय जनता पार्टी को पश्चिम बंगाल में एक अदद चेहरे की तलाश है, जिस पर दांव लगा कर पार्टी चुनाव मैदान में उतर सके। वैसे तो भाजपा ने आधिकारिक रूप से कहा हुआ है कि वह मुख्यमंत्री का दावेदार पेश किए बगैर चुनाव लड़ेगी और पार्टी के जीतने के बाद विधायक अपना नेता चुनेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी अंदर अंदर जोर-शोर से ऐसे चेहरे की तलाश कर रही है, जिसे ममता बनर्जी के मुकाबले आगे किया जा सके। ध्यान रहे भाजपा ने इससे पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में बिना चेहरा पेश किए चुनाव लड़ा था। पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि इसी रणनीति पर वह बंगाल में भी चुनाव लड़ेगी क्योंकि बंगाल में उसके पास मजबूत एजेंडा है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के कार्ड से मजबूत एजेंडा बना दिया है फिर भी उसे एक चेहरे की जरूरत महसूस हो रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली पर दांव लगाने की तैयारी थी। पर गांगुली राजनीति में नहीं उतरना चाहते हैं। उनका रूझान लेफ्ट की ओर रहा है और इस वजह से वे ममता बनर्जी के कहने पर भी राजनीति में आने या राज्यसभा सांसद बनने को तैयार नहीं हुए। बताया जा रहा है कि बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपने को भाजपा के दबाव से बचाया है। सोशल मीडिया में तो कई लोग पिछले एक-दो महीने में दो बार हुई उनकी एंजियोप्लास्टि को भी इसी दबाव से जोड़ रहे हैं।
बहरहाल, इस बीच राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से मुलाकात की। मिथुन चक्रवर्ती की लोकप्रियता भले सौरव गांगुली जैसी नहीं है लेकिन वे भी भाजपा के बहुत काम आ सकते हैं। हालांकि पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि इसके लिए अब देर हो गई है। ज्यादा से ज्यादा मिथुन को पार्टी का उम्मीदवार बना कर या स्टार प्रचारक बना कर राज्य में उतारा जा सकता है। अपने करियर के बिल्कुल शुरुआती दिनों में मिथुन चक्रवर्ती का रूझान भी नक्सली आंदोलन की ओर था पर अब पिछले तीन साल से वे भाजपा और संघ के करीब आए हैं। वे संघ के मुख्यालय में नागपुर भी जा चुके हैं। अगले दो-चार दिन में पता चलेगा कि संघ प्रमुख से उनकी मुलाकात क्या रंग लाती है।