रियल पालिटिक्स

बेंगलुरू और गुरुग्राम नई प्रयोगशाला हैं

ByNI Political,
Share
बेंगलुरू और गुरुग्राम नई प्रयोगशाला हैं
देश की मिलेनियम सिटी गुरुग्राम है और टेक्नोलॉजी सिटी बेंगलुरू है। लेकिन ये दोनों शहर अब हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला हैं। हैरानी की बात है कि महानगर होने, आधुनिक व विकसित होने के बावजूद इन दोनों शहरों में हिंदुत्ववादी राजनीति करने वाले संगठन फल-फूल रहे हैं। ध्यान रहे श्रीराम सेने का पहली बार जिक्र बेंगलुरू में ही हुआ था, जब इस संगठन के लोगों ने बार और रेस्तरां में महिलाओं पर हमला किया था। उसके बाद बेंगलुरू दक्षिण से तेजस्वी सूर्या सांसद बने और भाजपा ने उनको भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया। उन्होंने कोरोना से लड़ाई के लिए बने वार रूम में काम करने वाले पेशवरों की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उसके वार रूम के मुस्लिम सदस्य भेदभाव करते हैं। हालांकि उनके आरोप गलत साबित हुए। अब कर्नाटक के कई हिस्सों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का विरोध हो रहा है और मुस्लिम लड़कियां क्लासरूम में नहीं जा पा रही हैं। बेंगलुरू की तरह हिंदुत्व की दूसरी प्रयोगशाला गुरुग्राम है, जहां पिछले कई महीने तक लगातार टकराव चलता रहा। हिंदुवादी संगठनों ने गुरुग्राम में कई जगह खुले में नमाज पढ़ने के खिलाफ प्रदर्शन किया। हर शुक्रवार को जुमे की नमाज से पहले हिंदू संगठनों के कुछ लोग इकट्ठा होकर मुसलमानों का विरोध करते। यह विरोध इतना बढ़ गया कि सिख गुरुद्वारों ने मुसलमानों को नमाज के लिए अपना परिसर ऑफर किया था। बाद में पुलिस भी हिंदुवादी संगठनों के साथ मिल गई और अंततः कई जगह खुले में नमाज पढ़ना बंद हो गया। बाद में हिंदू संगठनों के लोग उसी खुली जगह पर भजन-कीर्तन करने लगे।
Published

और पढ़ें