सचमुच केंद्र और राज्यों की सरकारों के पास पैसे की कमी हो गई है। वे कहें भले नहीं है लेकिन सबको ऐसी कमी है कि हर धंधे से कमाई की सोच रहे हैं। दिल्ली में गली गली शराब की दुकानें खुलवाई जा रही हैं और पूरी रात धंधा करने की इजाजत दी जा रही है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा शराब पिएं और सरकार की कमाई हो। उसी तरह केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरंसी पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान किया है। सरकार के बड़े अधिकारी वित्त सचिव ने कहा है कि जैसे जुए की कमाई होती है वैसे ही क्रिप्टोकरंसी की कमाई है और इसलिए सरकार उस पर टैक्स वसूलेगी। betting gambling lottery alcohol
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सोचें, एक तरफ सरकार क्रिप्टोकरंसी के कारोबार को सट्टा और जुए जैसा बता रही है और दूसरी ओर उसे गैरकानूनी बताने की बजाय उस पर टैक्स लगा कर कमाई का रास्ता खोज रही है। अगर क्रिप्टोकरंसी का कारोबार जुए या सट्टे की तरह है, जैसा कि सरकार के अधिकारी बता रहे हैं तो उस पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई जा रही है? क्या सरकार अपनी डिजिटल मुद्रा लाएगी और उसके कंपीटिशन में निजी क्रिप्टोकरंसी को भी चलने देगी? फिर निजी कंपनियों को नोट चलाने की मंजूरी भी क्यों नहीं दे दी जा रही है? सोचें, क्या स्थिति है टेलीविजन चैनलों पर खुलेआम लत लगाने वाले मोबाइल गेम्स के प्रचार हो रहे हैं और सरकार टैक्स लेकर उसे चलने दे रही है। भाजपा के बड़े नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी कई बार सट्टेबाजी को कानूनी बनाने और टैक्स वसूलने की पैरवी कर चुके। जब जुआ, सट्टा और क्रिप्टो पर टैक्स लगा कर इसे कानून बनाया जाए तो देह व्यापार और नशीली दवाओं का कारोबार भी क्यों छोड़ा जाए!
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