यह बड़ी हैरान करने वाली बात है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों को यात्रा में शामिल होने का न्योता देने की चिट्ठी क्यों लिखी गई? यह किसका आइडिया था? आमतौर पर कांग्रेस में पहले परदे के पीछे से बात होती है। इस बार लग रहा है कि बिना किसी बातचीत के चिट्ठी लिखी गई और चिट्टी डिलीवर होने से पहले उसके बारे में मीडिया में खबर लीक कर दी गई। यह भी हैरानी की बात है कि जो यूपीए की सहयोगी पार्टियां हैं वो बिना चिट्ठी के ही यात्रा में शामिल हुईं। डीएमके, शिव सेना, एनसीपी, जेएमएम, गोवा फॉरवर्ड पार्टी आदि को चिट्ठी लिखने की जरूरत नहीं पड़ी थी। तभी सवाल है कि गैर यूपीए पार्टियों को बुलाने का आइडिया कहां से आया? फिर ऐसी चिट्ठी आम आदमी पार्टी को क्यों नहीं लिखी गई?
ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने सोची समझी योजना के तहत राजनीतिक मंशा से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को चिट्ठी लिखी। कांग्रेस को पता था कि ये दोनों पार्टियां यात्रा में शामिल नहीं होंगी। लेकिन यात्रा में शामिल होने का न्योता देकर कांग्रेस का इरादा दोनों को एक्सपोज करने का था। तभी अखिलेश यादव इस खबर पर बहुत नाराज हुए थे। पहली बार जब उनसे पत्रकारों ने इस बारे में पूछा तो बड़ी तल्खी से उन्होंने कहा कि अगर आपके पास निमंत्रण की कॉपी है तो दे दीजिए। जाहिर है उस समय तक उनको निमंत्रण मिला नहीं था और उससे पहले मीडिया में खबर लीक कर दी गई थी। तभी नाराजगी में उन्होंने यह भी कह दिया कि कांग्रेस और भाजपा एक जैसे हैं। बाद में जब उनको न्योते की चिट्ठी मिली तो उन्होंने एक चार लाइन का शुभकामना संदेश जारी किया। लेकिन वे कांग्रेस की होशियारी समझ गए थे।