अगले साल 26 जनवरी को जब नागरिक सम्मानों की घोषणा होगी तो उसमें दलाई लामा को भारत रत्न देने की घोषणा हो सकती है। इसका आधार तैयार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद कई साल तक नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई नहीं दी थी। चीन की चिंता में प्रधानमंत्री उनको बधाई नहीं देते थे। लेकिन पिछले दो साल से प्रधानमंत्री मोदी उनको जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। इसका मतलब है कि भारत ने चीन को लेकर अपनी नीति में बदलाव किया है। अब भारत को चीन की वैसी परवाह नहीं है, जैसी पहले थी। अब भारत यह संकेत दे रहा है कि अगर चीन उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान नहीं करेगी तो भारत भी वन चाइना पॉलिसी पर सवाल उठा सकता है।
तभी तिब्बत पर बने भारतीय सांसदों के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने दलाई लामा को भारत रत्न देने का प्रस्ताव दिया है। पिछले साल इस प्रतिनिधिमंडल को लेकर चीन ने सवाल उठाया था। इस बार संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने यह सुझाव भी दिया है कि संसद का साझा सत्र बुलाया जाए और दलाई लामा उसे संबोधित करें। ये दोनों प्रस्ताव सरकार को भेजे गए हैं। फैसला सरकार को करना है। साझा सत्र बुला कर दलाई लामा से संबोधित कराने का फैसला अगर नहीं भी होता है तो उनको भारत रत्न देने का फैसला हो सकता है। अगर भारत ऐसा करता है तो यह बहुत बड़ी बात होगी और यह एक महाशक्ति के तौर पर उभरने की इच्छा रखने वाले भारत की हैसियत के मुताबिक काम होगा।
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