ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा, जदयू और लोजपा में ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान है। विपक्षी गठबंधन में उससे ज्यादा तनाव दिख रहा है। गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल अभी किसी से बात नहीं कर रही है। कांग्रेस पार्टी के नेता भी दूरी बनाए हुए हैं। इस गठबंधन की बाकी तीन पार्टियों की कोई बात नहीं है, उनके बारे में अभी गठबंधन में सोचा भी नहीं जा रहा है। राजद ने हम के नेता जीतन राम मांझी को दो टूक अदांज में कह दिया है कि वे ब्लैकमेलिंग न करें और अगर गठबंधन से बाहर जाना चाहें तो जा सकते हैं। बहरहाल, अभी राजद और कांग्रेस में सारी चीजें तय हो जाएं उसके बाद ही दूसरी पार्टियों के बारे में बात होगी।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के अनेक नेता इस बार अकेले चुनाव लडऩे का सुझाव दे रहे हैं। उनको लग रहा है कि अभी बिहार में हालात किसी पार्टी के माकूल नहीं दिख रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को भाजपा के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है। दूसरे, कांग्रेस के कई नेता यह संभावना भी देख रहे हैं कि छोटी पार्टियों को मिला कर एक तीसरा गठबंधन बनाया जा सकता है। कांग्रेस का यह दांव सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए है। पिछली बार जदयू के गठबंधन में होने की वजह से कांग्रेस सिर्फ 41 सीटों पर लड़ी थी। इस बार वह ज्यादा सीटों पर दावेदारी करेगी। बहरहाल, कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल राज्यसभा का चुनाव जीत गए हैं और वे अब बिहार में डेरा डालेंगे।
राजद-कांग्रेस गठबंधन में भी मुश्किल
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