बिहार विधानसभा का चुनाव कौन लड़वा रहा है? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि लड़ने वाले दिख रहे हैं पर लड़ाने वाले नहीं दिख रहे हैं। पार्टी के स्टार प्रचारक भी दिख रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने 23 अक्टूबर को तीन रैलियां कीं और फिर 28 अक्टूबर को मतदान के पहले चरण के दिन भी वे बिहार पहुंचे और तीन रैलियों को संबोधित किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बड़ी मेहनत कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर रहे भारतीय जनता युवा मोर्चा के नए अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या भी भाषण दे रहे हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि चुनाव की कमान कौन संभाल रहा है? कौन चुनाव लड़वा रहा है? इसका जवाब है- भूपेंद्र यादव!
पार्टी के महासचिव और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव एक तरह से अकेले चुनाव की कमान संभाल रहे हैं। बिहार में चुनाव की घोषणा के पहले से उन्होंने सारी बिसात बिछाई। जदयू के साथ किस तरह तालमेल होना है, कौन सहयोगी साथ रहेगा, कौन अलग रहेगा, जैसी तमाम बातें भी उन्होंने ही तय कराई। टिकट बंटवारे में भी उनकी भूमिका अहम रही। तभी वे और उनके साथ उनकी टीम काम कर रही है। बिहार प्रदेश की पुरानी टीम लगभग नदारद है। संगठन महामंत्री नागेंद्र, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, स्वास्थ्य मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, राजीव प्रताप रूड़ी, सैयद शाहनवाज जैसे तमाम नेता प्रचार से दूर हैं। यह भी एक तथ्य है कि बिहार में पिछले कुछ बरसों में जो नई टीम बनी है उसमें सब भूपेंद्र यादव के करीबी हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और चुनाव अभियान की अहम जिम्मेदारी संभाल रहे पार्टी उपाध्यक्ष देवेश कुमार, ये तीन लोग ही चुनाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं। बहरहाल, भूपेंद्र यादव ने बड़ा जोखिम लिया है। बिहार में लगातार दूसरी बार वे इस किस्म के प्रयोग कर रहे हैं। यह शेर की सवारी की तरह है। अगर वे अपनी योजना के मुताबिक बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बनवाने में कामयाब होते हैं तो उनका कद बहुत बढ़ेगा। और अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो बहुत लोग उनके पीछे पड़ेंगे।