रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान की राजनीति तो समझ में आ रही है। ऐसा लग रहा है कि दोनों विधानसभा चुनाव में अपनी सीटें बढ़वाने के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं। पर कांग्रेस क्या राजनीति कर रही है यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है, खास कर रामविलास पासवान को लेकर कांग्रेस की राजनीति समझ में नहीं आ रही है। खबर है कि तीन-चार दिन पहले कांग्रेस के नेताओं की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक बैठक हुई थी, जिसमें बिहार भाजपा के नेताओं ने सीधे राहुल गांधी से बात की। इस बातचीत के दौरान कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने राहुल से कहा कि रामविलास पासवान चार बार उनको फोन कर चुके हैं और वे कांग्रेस के साथ मिल कर लडऩे को तैयार हैं। अखिलेश सिंह ने यह नहीं कहा कि पासवान महागठबंधन में आना चाहते हैं वे कांग्रेस के साथ लड़ना चाहते हैं।
सोचें, राजद के बिना कांग्रेस और पासवान की क्या राजनीति होगी? परंतु कांग्रेस के नेता इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि इस बार राजद को छोड़ कर कांग्रेस अलग राजनीति कर सकती। दूसरी ओर राजद के नेता इस समय लेफ्ट पार्टियों पर बहुत ध्यान रहे हैं। उनका प्रयास है कि सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई माले को महागठबंधन में शामिल किया जाए। एक और रोचक बात यह है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने भी पिछले दिनों रामविलास पासवान के जन्मदिन पर उनको बड़ा भाई बताते हुए बधाई दी है। सो, ऐसा लग रहा है कि एनडीए और महागठबंधन से अलग एक खिचड़ी पक रही है।