रियल पालिटिक्स

राष्ट्रपति प्रणाली की तरह बिहार का चुनाव

ByNI Political,
Share
राष्ट्रपति प्रणाली की तरह बिहार का चुनाव
बिहार विधानसभा का चुनाव अब राष्ट्रपति प्रणाली के चुनाव की तर्ज पर लड़ा जा रहा है। वैसे तो मुख्यमंत्री पद के छह घोषित दावेदार हैं परंतु असली मुकाबला नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव का है। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यू से ज्यादा भारतीय जनता पार्टी यह मुकाबला बनाने में दिलचस्पी ले रही है। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश तक के सारे नेता एक सांस में कहते हैं कि नीतीश कुमार बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे और उसी सांस में तेजस्वी की दावेदारी खारिज करते हैं। तेजस्वी की शिक्षा और उनकी पार्टी के इतिहास की याद दिलाते हैं। जाहिर है भाजपा नेताओं ने नीतीश बनाम तेजस्वी का मुकाबला बना दिया है। हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद भाजपा के नेता मन ही मन यह सोच रहे हैं कि जदयू को कम सीटें आएंगी तो चुनाव के बाद भाजपा का मुख्यमंत्री बन जाएगा। जब मुख्यमंत्री के दावेदार नीतीश कुमार हैं और उनकी मुकाबला तेजस्वी यादव से बनाया जा रहा है तो स्वाभाविक रूप से इसका फायदा नीतीश और उनकी पार्टी को होगा। चाहे तेजस्वी जैसे युवा की कमान में हो पर राजद सरकार की वापसी की कल्पना बिहार की कई जातियों को नीतीश के पक्ष में गोलबंद करेंगी। भले अभी लोगों में नीतीश से नाराजगी हो पर उनमें और तेजस्वी में से किसी को चुनना होगा तो पलड़ा नीतीश के पक्ष में झुकने की संभावना ज्यादा है। सो, अगर लोजपा के जरिए किसी योजना के तहत भाजपा नीतीश को नुकसान पहुंचा रही है तो उनकी दावेदारी का प्रचार करके जाने-अनजाने में उनको फायदा भी पहुंचा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी साझा सभाओं में प्रधानमंत्री द्वारा उनको मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित किए जाने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।
Published

और पढ़ें