ऐसा लग रहा था कि बिहार में चुनाव नतीजे आने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा और राजनीति अपने सामान्य ढर्रे पर लौट आएगी। पर इसकी संभावना कम दिख रही है। अपनी नई ताकत से उत्साहित विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव आसानी से वाकओवर देते नहीं दिख रहे हैं। वे सरकार के साथ सीधे टकराव के लिए तैयार हैं। उन्होंने पहले ही सत्र में, जिसमें आमतौर पर सदस्यों की शपथ होती है और स्पीकर का चुनाव होता है उसमें ही अपने तेवर दिखा दिए हैं। उन्होंने 50 साल से ज्यादा समय से चली रही आम सहमति से स्पीकर चुनने की परंपरा को इस बार तोड़ दिया। तेजस्वी ने अपनी पार्टी के पुराने नेता अवध बिहारी चौधरी को उम्मीदवार बना कर चुनाव की नौबत ला दी।
एनडीए की ओर से विजय कुमार सिन्हा उम्मीदवार थे, जो चुनाव जीत गए पर संख्या बिल्कुल वहीं रही, जो एनडीए के पास है। एनडीए के नेता सिर्फ एक अतिरिक्त विधायक जोड़ पाए। एनडीए के अपने 125 विधायक हैं और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है तो स्पीकर के उम्मीदवार को छोड़ कर कुल 126 वोट ही एनडीए को मिले। सत्र से पहले ही विपक्ष के हल्ले में भ्रष्टाचार के आरोपी एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। दूसरे मंत्रियों के खिलाफ भी पुराने मामले निकाल कर विपक्ष शोर मचा रहा है। पहले ऐसा लग रहा था कि तेजस्वी और राजद ने नतीजे के स्वीकार कर लिया है और राजनीतिक सामान्य तरीके से चलेगी। पर ऐसा होगा नहीं। तेजस्वी बिहार दौरे की तैयारी भी कर रहे हैं। वे लगातार सक्रिय रहने की योजना बनाए हुए हैं। लालू प्रसाद के जेल से छूट कर आने की संभावना जल्दी ही है। उनके पटना पहुंचने के बाद राजनीतिक हलचल और तेज होगी।
तेजस्वी वाकओवर नहीं देने वाले
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