
भारतीय जनता पार्टी ने बिहार की अपनी सहयोगी जनता दल यू को उत्तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं दी है। थक हार कर जदयू ने कहा है कि वह अकेले लड़ेगी। इस बारे में मंगलवार को लखनऊ में फैसला होगा। इस बीच बिहार में दोनों पार्टियों के बीच झगड़ा तेज हो गया है। तीन महीने के अंतराल में जहरीली शराब पीने से लोगों के मरने की दूसरी घटना हुई है। पिछले साल दिवाली से ठीक पहले चार जिलों में 40 लोगों की मौत हुई थी। अभी मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा में 10 लोगों की मौत हुई है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी हमलावर है। Bihar equation change UP
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एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा निकाल रहे हैं और लोगों को शराबबंदी के फायदे समझा रहे हैं तो दूसरी ओर गांव-गांव में शराब बिकने की खबर है, जिससे लोग मर रहे हैं और उसे लेकर भाजपा शराबबंदी की नीति पर सवाल उठा रही है। सम्राट अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करने वाले कहानीकार, नाटककार दया प्रकाश सहाय को साहित्य अकादमी दिए जाने को लेकर भी दोनों पार्टियों में घमासान छिड़ा है। भाजपा के नेता सहाय से पल्ला झाड़ रहे हैं तो जदयू का कहना है कि भाजपा के लोगों का प्रश्रय दया प्रकाश सहाय को मिल रहा है। बिहार की कोईरी-कुर्मी राजनीति में इससे उबाल आया हुआ है।
उधर राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने नीतीश कुमार को सीधा प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर जातीय जनगणना के सवाल पर भाजपा साथ नहीं आती है तो नीतीश को उससे अलग होना चाहिए, राजद उनको पूरा समर्थन देगा। एक और मजेदार तथ्य यह है कि राजद को एक प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पिछले दिनों जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। तिवारी ज्यादा बड़े नेता नहीं हैं लेकिन दोनों पार्टियों ने इसका प्रचार किया। यह भी एक मैसेज है भाजपा के लिए। ध्यान रहे जाति जनगणना के मामले में भाजपा की वजह से सरकार सर्वदलीय बैठक टाल रही है। लेकिन ज्यादा दिन तक नीतीश इसे नहीं टालेंगे।
एक और मुद्दा विशेष राज्य के दर्जे का है, जिसकी मांग नीतीश कुमार और उनकी पार्टी से तेज कर दी है। इस मसले पर भी राजद ने खुल कर नीतीश का साथ दिया है। तभी माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में भी समीकरण बदल सकता है। अगर भाजपा चुनाव नहीं जीत पाती है तो बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट सकता है। तब नीतीश कुमार जातीय जनगणना और विशेष राज्य के दर्जे की मांग तेज करेंगे और 2024 के लिए प्लानिंग करेंगे। हालांकि तब उनके पास ज्यादा कुछ करने को नहीं रह जाएगा क्योंकि तब राजद की आक्रामक राजनीति होगी और एनडीए में शामिल हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी गठबंधन छोड़ेंगे। लेकिन अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा जीत जाती है तो बिहार में भाजपा की राजनीति आक्रामक होगी और तब भी नीतीश की मुश्किल बढ़ेगी।