जिस तरह से केंद्रीय एजेंसियां झारखंड में सोरेन परिवार की घेराबंदी कर रही है उसी तरह की घेराबंदी बिहार में लालू प्रसाद के परिवार की हो रही है। चारा घोटाले में लालू प्रसाद की मुश्किलें समाप्त होती दिख रही थीं तो अब जमीन के बदले नौकरी के कथित घोटाले में पूरे परिवार को उलझा दिया गया है। आय से अधिक संपत्ति का मामला भी परिवार के लगभग सभी सदस्यों के ऊपर लंबित है। ताजा मामला जमीन के बदले नौकरी का है, जो लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहने के समय का यानी 2009 से पहले का है। केंद्रीय एजेंसियों ने डेढ़ दशक के बाद इस मामले में कार्रवाई शुरू की है।
जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में सीबीआई ने इस साल मई में मुकदमा दर्ज किया था। उसके बाद से इसमें करीब डेढ़ दर्जन लोगों के नाम आ चुके हैं। रेलवे के कई अधिकारियों के साथ साथ लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती और हिमा यादव का नाम भी इसमें है। इसी मामले में लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी रहे भोला यादव को गिरफ्तार किया जा चुका है और तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी संजय यादव से सीबीआई पूछताछ कर रही है। रेलवे से ही जुड़ी कंपनी आईआरसीटीसी के एक मामले में तेजस्वी यादव के ऊपर भी तलवार लटक रही है। अगर एजेंसी ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है तो स्वाभाविक रूप से बाकी आरोपियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।