भारतीय जनता पार्टी मान रही है कि बिहार में उसका समय आ गया है। अगले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा बिहार में अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की संभावना देख रही है। भले इसके लिए अपनी सहयोगी पार्टी जदयू में ही तोड़-फोड़ क्यों न करनी पड़े। भाजपा के इस अभियान से जुड़े जानकार नेताओं का कहना है कि इसी योजना के तहत सुनियोजित तरीके से पार्टी के नेता नीतीश कुमार को निशाना बना रहे हैं। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का मुद्दा उठाया जा रहा है, शराबबंदी का विरोध हो रहा है और ध्रुवीकरण के मुद्दों को उभारा जा रहा है। Bihar politics BJP JDu
इस योजना का पहला चरण पूरा हो गया है। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के सभी तीन विधायकों को भाजपा में मिला लिया गया है, जिससे 77 विधायकों के साथ भाजपा बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। अब सबकी नजर बोचहां विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव पर है। यह सीट मुकेश सहनी की पार्टी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई थी। इस सीट पर भाजपा, राजद और सहनी की पार्टी के बीच मुकाबला है। अगर भाजपा जीतती है तो उसका अभियान जोर पकड़ेगा। इस एक सीट के उपचुनाव के नतीजों पर बिहार की राजनीति का बहुत कुछ निर्भर करेगा।
अगर बोचहां की सुरक्षित सीट भाजपा जीतती है तो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी संकट में आएगी। उनके चार में तीन विधायक पाला बदल कर भाजपा के साथ जा सकते हैं। इस बीच भाजपा के नेता कांग्रेस विधायकों पर डोरे डाल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का राजद से तालमेल खत्म हो गया है। हाल में हुए एमएलसी चुनाव में दोनों पार्टियां अलग अलग लड़ी हैं। इस चुनाव में भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा सबसे ज्यादा सीट जीतेगी। बहरहाल, राजद से अलग होने के बाद कांग्रेस के नेता परेशान हैं। ऐसे में भाजपा का प्रयास उसके 19 में से ज्यादातर विधायकों को अपने साथ लाने का है।
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अगर भाजपा का यह अभियान सफल हो जाता है तब अंत में जदयू को तोड़ कर पूर्ण बहुमत की अपनी सरकार बनाने का प्रयास होगा। जानकार सूत्रों के मुताबिक इस काम में पार्टी के नंबर दो नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भाजपा की मदद कर सकते हैं। वैसे भी भाजपा से उनकी करीबी को लेकर काफी समय से चर्चा होती रही है। पटना में चल रही अटकलों पर भरोसा करें तो यह भी संभव है कि आरसीपी को ही भाजपा अपना मुख्यमंत्री बना दे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के अध्यक्ष राजीव रंजन सिर्फ उर्फ ललन सिंह को भाजपा के इस गेम प्लान की जानकारी है। भाजपा नेता यह भी मान रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में नीतीश के साथ रह कर भाजपा जीतनी सीटें जीतेगी उससे ज्यादा अकेले या दूसरी छोटी पार्टियों के साथ लड़ कर जीत सकती है। 2014 के चुनाव में ऐसा हो चुका है। लेकिन तब नीतीश अकेले लड़े थे। अगर वे राजद के साथ चले जाते हैं तो तस्वीर बदल सकती है।