लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था लेकिन उन्होंने भाजपा का विरोध नहीं किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे थे और जदयू की हार सुनिश्चित की थी। भाजपा इस बात से इनकार करती है लेकिन जदयू के नेता मानते हैं कि भाजपा के कहने पर ही चिराग ने जदयू के खिलाफ उम्मीदवार दिए थे। कारण चाहे जो हो लेकिन चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने भी संकल्प करके चिराग को एनडीए से दूर रखा और उनकी पार्टी तोड़ कर पांच सांसदों का एक अलग गुट बना दिया।
इसके बावजूद चिराग ने भाजपा से अच्छे संबंध बनाए रखे। लेकिन अब लग रहा है कि वह संबंध भी खत्म होगा। अभी तक उनका संबंध 12, जनपथ के बंगले की वजह से जुड़ा हुआ था। उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी बंगला था, जो विभाजन के बाद हाथ से चला गया और अब पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान के नाम आवंटित रहा 12, जनपथ का बंगला भी छीन रहा है। बंगला खाली करने का अंतिम नोटिस मिल गया है और पिछले दिनों अधिकारी बंगला खाली कराने भी पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि चिराग ने बंगला खाली करना शुरू भी कर दिया है। यह बंगला रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित हुआ है। माना जा रहा है कि बंगला जाने के बाद भाजपा और चिराग में दूरी बढ़ेगी और तेजस्वी यादव के साथ चिराग की करीबी बढ़ेगी।…