केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कहा कि भाजपा का दरवाजा उनके लिए हमेशा के लिए बंद हो गया है। यह बात उन्होंने दूसरी बार कही है और उनकी पार्टी के दूसरे बड़े नेता भी यह बात कह चुके हैं। जब वे पिछली बार पटना के दौरे पर गए थे तब भी यह बात कही थी। सवाल है कि एक ही बात बार बार नीतीश कुमार को याद दिलाने का क्या मतलब है? अगर भाजपा ने उनके लिए दरवाजा बंद कर दिया है तो कर दिया, इसे बार बार क्यों दोहराना है? एक तरफ नीतीश कुमार दोहरा रहे हैं कि वे मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा में नहीं जाएंगे तो दूसरी ओर भाजपा कह रही है कि किसी हाल में उनको एनडीए में नहीं लेंगे।
यह बहुत दिलचस्प स्थिति है। नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उनको भाजपा के साथ नहीं जाना है और अमित शाह कह रहे हैं कि उनको नीतीश कुमार को फिर अपने साथ नहीं लेना है। दोनों की स्थिति स्पष्ट है फिर भी बयानबाजी है। इसका मतलब है कि पूरे मामले में कोई न कोई कड़ी मिसिंग है। बहरहाल, भाजपा के प्रदेश नेता अब भी किसी उधेड़बुन में लगे हैं। खबर है कि केंद्रीय मंत्री पद से हटने के बाद राजनीतिक बियाबान में भटक रहे आरसीपी सिंह वनवास से निकले हैं। पिछले दिनों उनके दिल्ली आने की चर्चा थी, जिसमें बताया जा रहा था कि उनकी पुरानी पार्टी जदयू के कई बड़े नेता उनके संपर्क में हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जदयू के कई सांसद भी उनके संपर्क में हैं। ऐसे सांसद, जिनको लग रहा है कि राजद के साथ तालमेल में उनकी टिकट कटेगी या सीट बदलेगी या चुनाव नहीं जीत पाएंगे, वे पाला बदलने की तैयारी कर रहे हैं। सो, अगले कुछ दिन में बिहार की राजनीति में कुछ दिलचस्प गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।