बिहार में महागठबंधन की सरकार को लेकर प्रशांत किशोर जिस तरह की भविष्यवाणी कर रहे हैं वह दिलचस्प है। एक तरफ बिहार में इस बात को लेकर चर्चा है कि राजद और जदयू का विलय हो जाएगा तो दूसरी ओर प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी है कि नीतीश कुमार ज्यादा दिन तक महागठबंधन में नहीं रहेंगे। उन्होंने पहले कहा था कि नीतीश भाजपा के संपर्क में हैं और फिर से एनडीए में वापसी कर सकते हैं। उन्होंने इशारों में यह भविष्यवाणी भी कर दी है कि बिहार में जिन दो सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें राजद की हार होगी। तभी उन्होंने कहा है कि उपचुनाव के नतीजे आने के बाद महागठबंधन में सिर फुटौव्वल शुरू होगा और सब एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आएंगे।
प्रशांत किशोर चुनाव रणनीतिकार रहे हैं और नतीजों को लेकर आमतौर पर वे सही साबित होते रहे हैं। इसलिए उपचुनावों को लेकर उनकी भविष्यवाणी बहुत दिलचस्प है। उनकी टीम ने दोनों सीटों- मोकामा और गोपालगंज में जरूर सर्वे किया होगा। इसके बावजूद ऐसा लग रहा है कि बिहार को लेकर उनकी जो भी भविष्यवाणी है वह तर्कों और तथ्यों पर आधारित होने की बजाय उनकी सदिच्छा की तरह है। असल में वे चाहते हैं कि महागठबंधन टूट जाए, नीतीश फिर एनडीए में जाएं या जाने का प्रयास करें, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बने और नीतीश कमजोर हों। इन सबमें उनको अपना हित दिख रहा है। ऐसा होता है तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका में आ जाएंगे। लेकिन अगर दोनों सीटों के उपचुनाव राजद जीत गई तब क्या होगा? तब राजद की 81 सीटें हो जाएंगी और भाजपा से उसका अंतर छह सीटों का हो जाएगा, जो चुनाव के समय सिर्फ एक सीट का था। इसके बाद राजद के नेता तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तेज कर सकते हैं।
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