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सुशील मोदी का महत्व बढ़ा है

बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी काफी समय से पार्टी की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता तलाशने में लगे हैं। बिहार में 2020 में भाजपा और जदयू की सरकार बनने के बाद उनको उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था। उनकी जगह नीतीश कुमार के साथ दो अन्य लोगों को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। उसके बाद उनको राज्यसभा सांसद बना कर दिल्ली लाया गया। सबको अंदाजा था कि प्रधानमंत्री उनको केंद्र में मंत्री बनाएंगे। लेकिन जुलाई 2021 के कैबिनेट फेरबदल में सुशील मोदी मंत्री नहीं बन सके। पिछले साल अगस्त में जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद फिर से सुशील मोदी का महत्व बढ़ने लगा है। बिहार की राजनीति में उनकी पूछ बढ़ी है और पार्टी की आगे की रणनीति में उनकी भूमिका भी बढ़ी है।

दिल्ली में भी पार्टी के कामकाज में उनका महत्व बढ़ा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नौ सदस्यों की एक कमेटी बनाई है, जो इस साल के आम बजट का मैसेज पूरे देश में पहुंचाएगी। उस कमेटी में पार्टी के पावरफुल महामंत्री सुनील बंसल भी हैं। सुशील मोदी को इस कमेटी का संयोजक बनाया गया है। यह कमेटी देश में 50 प्रेस कांफ्रेंस और कांफ्रेंस करेगी, जिसमें बजट की खूबियों के बारे में बताया जाएगा। उसका मैसेज विस्तार से आम लोगों को दिया जाएगा। कह सकते हैं कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से बजट के प्रचार का जिम्मा जिस कमेटी को दिया गया है उसके प्रमुख सुशील मोदी हैं। ध्यान रहे सुशील मोदी को वित्त की समझ है। वे बिहार में लगातार वित्त मंत्री रहे हैं और जीएसटी कौंसिल के कामकाज में भी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। सो, अब उनके समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि शायद अगली फेरबदल में उनको सरकार में जगह मिले।

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