भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन संकट में है। पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बनी जननायक जनता पार्टी और भाजपा सरकार बनाने के लिए साथ आए थे। अभी तक सरकार और गठबंधन दोनों में कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे दूरी बढ़ रही है। दोनों पार्टियों में दूरी बढ़ने का कारण राजनीतिक है। किसान आंदोलन के बाद पहलवानों के आंदोलन ने जाट मतदाताओं को नाराज किया है। ध्यान रहे ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी को जो दस सीटें मिली हैं वह विशुद्ध रूप से जाट वोट की बदौलत मिली है। चौटाला परिवार का जाट वोट आधार दुष्यंत को गया है। लेकिन पहलवानों के साथ जैसा बरताव हुआ है उससे जाटों में नाराजगी बढ़ी है। दुष्यंत की पार्टी के विधायकों ने खुल कर पहलवानों का साथ दिया है। तभी उनके लिए जरूरी हो गया है कि वे भाजपा से दूरी दिखाएं ताकि जाट को मैसेज दिया जाए।
दूसरी ओर भाजपा भी जाट और गैर जाट के ध्रुवीकरण की पुरानी राजनीति को फिर से साधने की कोशिश कर रही है और ऐसा तभी होगा, जब दुष्यंत की पार्टी अलग हो। इसके लिए पार्टी के प्रभारी बिल्पब देब ने उचाना कला सीट का दांव चला है। उन्होंने कहा कि उचाना कला सीट पर प्रेमलता लड़ेंगी। ध्यान रहे दुष्यंत इसी सीट से चुनाव जीते हैं, जबकि प्रेमलता पुराने नेता बीरेंद्र सिंह की पत्नी हैं। बिल्पब के बयान पर दुष्यंत ने जैसी तीखी प्रतिक्रिया दी, उससे आगे की राजनीति का अंदाजा होता है। टकराव का दूसरा मुद्दा हिसार लोकसभा सीट बन सकती है, जहां से दुष्यंत चुनाव लड़ते रहे हैं और उनकी पार्टी इस सीट पर दावा करती है। पिछले दिनों कांग्रेस के बड़े नेता कुलदीप बिश्नोई भाजपा में शामिल हुए तो कहा गया था कि भाजपा ने उनको हिसार सीट देने का वादा किया है। सो, दोनों तरफ से जोर आजमाइश हो रही है। दुष्यंत को उनकी जगह दिखाने के लिए पिछले दिनों बिप्लब देब ने चार निर्दलीय और एक अन्य विधायक गोपाल कांडा की परेड कराई। उन्होंने बताया कि दुष्यंत के बगैर भी भाजपा के पास सरकार चलाने का बहुमत है।