
महाराष्ट्र और हरियाणा में चल रहे विधानसभा चुनाव में दोनों जगह भाजपा के अनेक बागी उम्मीदवार मैदान में उतरे। कई बड़े नेता बागी नहीं हुए हैं पर टिकट कट जाने से नाराज घूम रहे हैं। कई जगह बिल्कुल युवा या दूसरी पार्टियों से लाए गए नेता चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। पर न तो पार्टी आलाकमान को इसकी चिंता है और न राज्य में मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर चुनाव लड़ रहे दोनों मुख्यमंत्रियों को इसकी चिंता है। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नए उम्मीदवारों को उतारे जाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा अपनी मिसाल दी और कहा कि वे पहली बार विधायक बने और मुख्यमंत्री बन गए।
बहरहाल, भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि उम्मीदवारों का फैसला दोनों मुख्यमंत्रियों ने ही कराया। दोनों मुख्यमंत्रियों ने राज्य की राजनीति में अपना विरोध करने वाले नेताओं को निपटाया है। मुख्यमंत्री के दावेदार बन सकने वाले नेताओं के करीबियों की टिकट काटी गई है। महाराष्ट्र में तो सीएम के दावेदार रहे एकनाथ खड़से, विनोद तावड़े, राज पुरोहित जैसे बड़े नेताओं की ही टिकट कट गई है। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्रियों ने ही बाहर से लाकर नेताओं को टिकट दिलाई। लोकसभा चुनाव में भी देवेंद्र फड़नवीस और मनोहर लाल खट्टर ने अपनी पसंद से उम्मीदवारों को टिकट दिलाई थी।