राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में अभी तीन-चार महीने से ज्यादा का समय है लेकिन इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। सबकी नजर उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर है। इनके नतीजे अगर भाजपा के खिलाफ जाते हैं तो विपक्षी पार्टियां आक्रामक तरीके से दोनों शीर्ष पदों की चुनावी तैयारी में जुटेंगी। हालांकि इसके बावजूद भाजपा की संभावना पर कोई असर नहीं पड़ना है। राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति दोनों पदों पर भाजपा बहुत आसानी से अपना उम्मीदवार जीता लेगी। इसलिए दोनों पदों के लिए विपक्ष चाहे जिसे उम्मीदवार बनाए लेकिन यह तय है कि भाजपा की ओर से ऐसा उम्मीदवार दिया जाएगा, जो राजनीतिक रूप से पार्टी को फायदा पहुंचाने वाला हो। BJP bring face South
तभी कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए इस बार दक्षिण भारत से कोई चेहरा लाया जा सकता है। ध्यान रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय सारे काम 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से कर रहे हैं। उनको पता है कि उत्तर, मध्य और पश्चिमी भारत में भाजपा अपने चरम पर है और वहां उसका विस्तार नहीं होगा। वहां उसके वोट और सीटें दोनों घटेंगी। इसकी भरपाई दक्षिण भारत से हो सकती है। तभी कर्नाटक में अभी चल रही सांप्रदायिक हिंसा और तनाव अनायास नहीं है। वहां की राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि कर्नाटक आज उसी मुकाम पर है, जहां 2001-2002 में गुजरात था।
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बहरहाल, अगर दक्षिण भारत का कोई नेता राष्ट्रपति का चुनाव लड़ता है तो दक्षिण की सारी पार्टियां अपने आप उसका समर्थन करेंगी। पार्टी लाइन तोड़ सबका वोट उसको मिलेगा। दूसरे, इससे भाजपा के लिए दक्षिण की पार्टियों के साथ तालमेल करने और अपना पैर जमाने का मौका भी मिलेगा। इस लिहाज से भाजपा की नजर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों पर है। कर्नाटक में भाजपा मजबूत है और तेलंगाना में भाजपा ध्रुवीकरण कराने के पूरे भरोसे में है। ऐसे में अगर किसी तमिल या तेलुगू को राष्ट्रपति बनाया जाता है तो इन राज्यों में भाजपा अपना आधार बढ़ा सकती है।
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