भारतीय जनता पार्टी के पास कोई चेहरा आगे करके चुनाव लड़ने की बजाय दो पार्टियों के साथ तालमेल करके सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का विकल्प भी है। भाजपा की दो सहयोगी पार्टियों, अकाली दल और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ तालमेल की बात चल रही है। मुश्किल यह है कि अकाली दल को छह और चौटाला की पार्टी को दस सीटें चाहिएं, जो भाजपा नहीं दे सकती है। अगर ये दोनों पार्टियां सीटों की मांग कम करती हैं तो भाजपा से तालमेल हो सकता है।
इसका फायदा भाजपा को यह होगा कि उसे सिख और जाट वोट के लिए दिल्ली में ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। गौरतलब है कि भाजपा ने हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बना रखा है। मनोहर लाल खट्टर वहां मुख्यमंत्री हैं। सो, अगर तालमेल हुआ तो पंजाबी, सिख और जाट वोट का बड़ा हिस्सा उसके साथ जुड़ सकता है। इसके बाद भाजपा को चेहरा पेश करने की जरूरत भी नहीं रह जाएगी या वह चाहे तो वैश्य नेता के तौर पर डॉक्टर हर्षवर्धन या विजय गोयल में से किसी का चेहरा पेश कर सकती है। लेकिन तब प्रवासी वोट पूरी तरह से आप की ओर जाने की संभावना बढ़ जाएगी। हालांकि भाजपा के नेता कई कारणों से इसमें बंटवारे की संभावना देख रहे हैं।