दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के ऊपर मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश करने का दबाव बढ़ गया है। कहा जा रहा है कि पार्टी इस हफ्ते चुनाव की घोषणा के साथ ही अपना चेहरा भी पेश कर सकती है। पर पार्टी इतनी बार दावेदार पेश करके हाथ जला चुकी है उसको किसी का चेहरा पेश करने में डर लग रहा है। भाजपा ने पिछला चुनाव किरण बेदी के चेहरे पर लड़ा था। सबको चौंकाते हुए पार्टी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी और अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में एक मुखर चेहरा रहीं किरण बेदी को पेश किया था पर पार्टी को 70 में से सिर्फ तीन सीटें मिलीं। सीएम दावेदार किरण बेदी खुद भी चुनाव हार गईं।
उससे पहले दिसंबर 2013 के चुनाव में भाजपा डॉक्टर हर्षवर्धन के चेहरे पर लड़ी थी और उसको 28 सीटें मिली थीं। वह 1993 के बाद से दिल्ली में भाजपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। आज भी पार्टी का आम कार्यकर्ता मानता है कि भाजपा के पास सबसे अच्छा विकल्प डॉक्टर हर्षवर्धन का है। अरविंद केजरीवाल के मुकाबले कई कारणों से वे सबसे अच्छा विकल्प हैं। उनकी छवि संपूर्ण ईमानदारी और कर्मठ नेता वाली है और दूसरे वे वैश्य समुदाय से आते हैं। सो, उनके सहारे भाजपा वैश्य वोट एकतरफा केजरीवाल की ओर जाने से रोक सकती है और साफ-सुथरी राजनीति पसंद करने वाले युवाओं को भी अपनी ओर ला सकती है।
भाजपा के पास एक विकल्प मनोज तिवारी का है, जिनको पार्टी ने कई सालों से प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है। हालांकि उनकी कमान में हुए निगम चुनाव और पिछले लोकसभा चुनाव का आकलन यह है कि वे प्रवासी वोट भाजपा की ओर से उस अनुपात में नहीं ला पाए हैं, जिसकी उनसे उम्मीद है। असल में पूर्वांचल के प्रवासी वोट में ज्यादातर मतदाता पिछड़ी और दलित जातियों के हैं या अल्पसंख्यक हैं। उनके साथ मनोज तिवारी का कनेक्ट नहीं बन पाता है। जो सवर्ण और मध्य वर्ग के प्रवासी हैं वे भी मनोज तिवारी को गंभीरता से नहीं लेते हैं। उनका चेहरा पेश करने पर भाजपा के पारंपरिक वैश्य व पंजाबी मतदाता के बिदकने का खतरा है।
इनके अलावा भाजपा के पास पंजाब या जाट चेहरा पेश करने का विकल्प है। चूंकि बगल के राज्य हरियाणा में भाजपा ने पंजाबी मुख्यमंत्री बनाया हुआ है इसलिए पार्टी के नेता मान रहे हैं कि उसका फायदा दिल्ली में मिल जाएगा। वैसे पंजाबी चेहरे के तौर पर भाजपा के पास मीनाक्षी लेखी हैं और अगर पार्टी लोगों को चौंकाना चाहे तो पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर भी हैं। बहरहाल, पार्टी का एक खेमा पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को पेश करने के पक्ष में हैं। वे जाट हैं और बहुत लोकप्रिय हैं।
दिल्ली में भाजपा के सीएम का सवाल
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