
वैसे तो केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों की ओर से कहा जा चुका है कि जनगणना में जातियों की गिनती नहीं होगी। लेकिन जिस तरह से कई राज्यों में सरकारों ने दबाव बनाया है और उस बीच सरकार 2021 की जनगणना टाल रही है तो उससे यह सवाल भी उठ रहा है कि कहीं जातीय जनगणना से बचने के लिए ही तो इसे 10 साल के लिए नहीं टाला जा रहा है? अगर जनगणना टल जाती है तो केंद्र सरकार और भाजपा दोनों इस आरोप से बच जाएंगे कि वे जान बूझकर अन्य पिछड़ी जातियों को उनका हक नहीं देना चाहते हैं इसलिए जातीय जनगणना नहीं करा रहे हैं। गौरतलब है कि अन्य पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाली पार्टियां ओबीसी की गिनती की मांग कर रही हैं।
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बिहार में भाजपा की सहयोगी जनता दल यू ने इसकी मांग की थी और अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान कर दिया है कि राज्य सरकार अपने खर्च से ओबीसी की गिनती कराएगी। प्रदेश भाजपा के नेता इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन वे इसे रोक नहीं पाएंगे। इसी तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार बनी तो ओबीसी की गिनती कराएंगे। छत्तीसगढ़ में हाई कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी की गिनती शुरू हो गई है। इस बीच महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने का विवाद शुरू हो गया है। इसके लिए आने वाले दिनों में ओबीसी की गिनती की मांग होगी।