झारखंड में इस बार नरेंद्र मोदी का जादू नहीं चला। छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में इसी झारखंड में नरेंद्र मोदी के नाम 14 में से 12 सीटें मिलीं। पर छह महीने बाद विधानसभा के चुनाव में मोदी अपने मुख्यमंत्री को भी चुनाव नहीं जिता पाए। प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र जमशेदपुर में सभा की थी और लोगों से उनको जिताने की अपील की थी। डबल इंजन की सरकार से विकास का वादा भी किया था पर उनका जादू नहीं चला और जिस सीट से मुख्यमंत्री पांच बार से जीत रहे थे वहां चुनाव हार गए।
यहीं नहीं प्रधानमंत्री ने जहां-जहां प्रचार किया उनमें से एक-दो अपवादों को छोड़ दें तो हर जगह उनकी पार्टी के उम्मीदवार हारे। पहले इस तरह की खबरें राहुल गांधी को लेकर छपा करती थीं। मीडिया में तुलनात्मक ब्योरा होता था कि जहां मोदी गए वहां भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहा और जहां राहुल गए वहां कैसा रहा। इस बार जहां राहुल और प्रियंका गए वहां कांग्रेस के नतीजे बहुत अच्छे रहे।
बहरहाल, प्रधानमंत्री के प्रचार में सबसे बुरा दुमका और बरहेठ में हुआ। इन दोनों सीटों से जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के प्रदेश नेताओं ने उनको हराने की जिद में इन दोनों जगहों पर प्रधानमंत्री की सभा कराई। प्रधानमंत्री का दुमका जाना समझ में आता है क्योंकि उसे झारखंड की दूसरी राजधानी बोलते हैं और संथालपरगना का वह केंद्र है। पर उसी इलाके में दो दिन के अंतराल पर दूसरी सीट पर प्रधानमंत्री की सभा का कोई मतलब नहीं बनता था। पर हेमंत सोरेन को हराने के लिए प्रदेश नेतृत्व ने उनकी दोनों सीटों पर प्रधानमंत्री से प्रचार कराया और इसके बावजूद दोनों सीटों पर हेमंत सोरेन बड़े अंतर से जीत गए।
झारखंड भाजपा के नेता उनकी इस तरह की बेइज्जती पहले भी करा चुके हैं। कुछ समय पहले संथालपरगना इलाके में लिट्टीपाड़ा सीट पर उपचुनाव हुआ था। तब प्रदेश की भाजपा सरकार ने साहेबगंज में गंगा नदी पर पुल के शिलान्यास और नौकरी पत्र बांटने के लिए प्रधानमंत्री को बुला लिया था। यह एक तरह से उपचुनाव में भाजपा के लिए प्रचार का आयोजन था पर उस उपचुनाव में भी भाजपा हार गई थी।
न रघुवर जीते और न हेमंत हारे!
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