भाजपा के राष्ट्रीय संगठन से जुड़े कई पदाधिकारी केंद्र सरकार में मंत्री बनना चाहते हैं। पिछले पूरे पांच साल कई पदाधिकारियों को लेकर अटकल चलती रही। जब भी नरेंद्र मोदी अपनी सरकार में फेरबदल करते थे तो कुछ नेताओं के नामों की जरूर चर्चा होती थी पर वे बात चर्चा तक ही रह जाती थी। चूंकि अमित शाह के पार्टी अध्यक्ष रहते पार्टी के पदाधिकारियों की पूछ मंत्रियों से ज्यादा थी। पर अब शाह पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं। उनकी जगह जेपी नड्डा को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी के जानकार नेताओं का कहना है कि अगर अमित शाह के साथ उनकी टीम में रहे कुछ पदाधिकारियों को केंद्र सरकार में मंत्री बना दिया जाता है तो यह उनके कामकाज का इनाम भी होगा और इससे नड्डा को अपना संगठन बनाने में सुविधा हो जाएगी। वे फिर अपनी पसंद से पार्टी में पदाधिकारी नियुक्त कर पाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें अमित शाह की टीम के पदाधिकारियों के साथ ही काम करना होगा।
बहरहाल, इससे पहले पिछले कार्यकाल में जब भी मोदी सरकार में फेरबदल की चर्चा हुई तो राम माधव को मंत्री बनाने की जरूर अटकल लगाई जाती है। हालांकि वे अभी सांसद नहीं हैं और हर राज्यसभा चुनाव से पहले उनके राज्यसभा में जाने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। सो, इस बार भी उनको लेकर अटकलों का दौर चल रहा है। उन्हीं की तरह पार्टी के दूसरे महासचिव पी मुरलीधर राव का नाम भी हर बार चर्चा में आता है। पार्टी के उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे का नाम भी हर बार की तरह इस बार भी संभावित मंत्रियों की सूची में है। पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का नाम भी संभावितों में है। पार्टी के एक और महासचिव अनिल जैन को या तो संगठन में कोई ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा है या सरकार में भेजे जाने के कयास हैं।
सबसे दिलचस्प मामला पार्टी संगठन में अमित शाह के सबसे भरोसेमंद महासचिव माने जाने वाले भूपेंद्र यादव का है। उनके ऊपर संगठन और संसदीय कामकाज की कई बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। वे बिहार के प्रभारी हैं, जहां साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके बावजूद उनको मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। अगर उनको मंत्री बनाया जाता है तो उनके पास दोहरी जिम्मेदारी हो जाएगी।