भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले आधा दर्जन राज्यों में अस्थिरता का माहौल है। यह पहली बार हो रहा है कि भाजपा के इतने मजबूत आलाकमान के बावजूद पार्टी की प्रदेश इकाइयों में विवाद है और सरकार को लेकर अस्थिरता बनी है। तभी कुछ लोग यह कह रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद केंद्रीय नेतृत्व की धमक घटी है तो हर बार की तरह कई लोग इसमें भी मोदी-शाह की कोई योजना बता रहे हैं। उनका कहना है कि किसी खास मकसद से पार्टी आलाकमान खुद ही राज्यों में अस्थिरता पैदा करा रहा है। हालांकि वह मकसद क्या है, ये किसी को पता नहीं है। पर इतना साफ दिख रहा है कि कई राज्यों में संतुलन बिगड़ा है।
सबसे पहले उत्तर प्रदेश का मामला आता है, जहां पिछले कई महीने पहले प्रधानमंत्री के करीबी आईएएस अधिकारी रहे अरविंद शर्मा को भेजा गया। वे एमएलसी हो गए लेकिन अभी तक मंत्री नहीं बन पाए हैं। राज्य सरकार में फेरबदल का मामला अटका है और इस बीच मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री से टकराव की खबरें चल रही हैं। इन खबरों के बीच प्रदेश भाजपा के ट्विटर हैंडल से मोदी की फोटो हट गई और नमामि गंगे की उपलब्धि के प्रचार के लिए जारी ऑनलाइन स्लाइड में भी प्रधानमंत्री की फोटो नहीं लगाई गई। ऐन चुनाव से पहले इस तरह की घटनाओं से पार्टी के अंदर और बाहर माहौल बिगड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में विवाद चल ही रहा था कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में विवाद शुरू हो गया। मध्य प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की आपस में मेल-मुलाकात ने कई तरह की चर्चाओं को जन्म दिया। कैलाश विजयवर्गीय, प्रभात झा, विष्णु दत्त शर्मा और नरोत्तम मिश्रा की अलग-अलग मुलाकातों से सत्ता में बदलाव की बात उठी और बाद में पार्टी नेताओं को सफाई देनी पड़ी कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोई बात नहीं है। उधर कर्नाटक में अलग मुख्यमंत्री को दस्तखत अभियान चलाना पड़ा। खबर है कि 65 के करीब विधायकों ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाए रखने की अपील की है। वहां तो खैर जब से येदियुरप्पा बने हैं तभी से उनको हटाने की चर्चा चल रही है।
पूर्वोत्तर के राज्यों में त्रिपुरा को लेकर एक बार फिर अटकलें चल पड़ी हैं। प्रदेश भाजपा के अनेक नेता मुख्यमंत्री बिप्लब देब को बदलने की मांग कर रहे हैं। पहले कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नेता ही मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे थे, अब भाजपा के अपने नेता भी करने लगे हैं। कुछ दिन पहले ही विधायकों के दबाव में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को बदला गया। गुजरात के बाद यह दूसरा ही मामला था, जब मुख्यमंत्री को बीच में बदला गया। इसी तरह बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री नहीं है पर सहयोगी पार्टी जदयू के साथ पार्टी नेताओं ने विवाद बढ़ाया हुआ है। यह अचानक शुरू हुआ पिछले एक महीने का घटनाक्रम है कि आधा दर्जन भाजपा शासित राज्यों में अस्थिरता बनी है। यह आलाकमान की कमजोर होती पकड़ का भी संकेत है।
भाजपाई राज्यों में अस्थिरता
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