राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों के मामले में लगता है भाजपा ने सेल्फ गोल कर लिया है। पहली बार ऐसा लग रहा है कि भाजपा के समर्थक भी राहुल और प्रियंका के काम को ड्रामा या राजनीतिक स्टंट मानने की बजाय भाजपा को नसीहत दे रहे हैं वे जो कर रहे थे उन्हें करने देना चाहिए था। आम लोगों को भी यह महसूस हो रहा है, जो सोशल मीडिया में जाहिर भी हो रहा है कि अगर प्रियंका बसें भेज रही थीं तो उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए था कि वह उसमें मजदूरों को बैठा कर उनके घर भेजे। असल में मीडिया और सोशल मीडिया में लगातार मजदूरों के पैदल चलने के वीडियो आ रहे हैं। औरतों, बच्चों के पैदल चलने और पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा से बिहार ले जाने वाली 13 साल की लड़की की कहानी लोगों को व्यथित कर रही है। उच्च मध्य वर्ग और संभ्रात वर्ग के अंदर एक नैतिक संकट भी खड़ा हो रहा है और वे भी चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी यह संकट सुलझे। सो, वे भी चाहते थे कि अगर प्रियंका बस दे रही हैं तो चाहे, जितनी भी बसें हैं, उनमें मजदूरों को बैठाओ और उन्हें घर भेजो।
जब तक उत्तर प्रदेश सरकार यह कहती रही कि प्रियंका ने बसों की जो सूची दी है उसमें दोपहिया, तिपहिया और दूसरे वाहनों के नंबर भी हैं तब तक इसका मजाक बना। लेकिन जैसे ही यह खबर आई कि उस सूची में 879 बसें हैं तो नैरेटिव बदल गया। तटस्थ लोग भी कहने लगे कि इतनी बसों का तो इस्तेमाल किया जाए। लोग यह भी सुझाव देने लगे कि दूसरी गाड़ियों से भी आसपास के लोगों को घर पहुंचाया जा सकता है। लोगों ने फिल्म अभिनेता सोनू सूद और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की मिसाल देते हुए कहा कि सोनू ने सैकड़ों बसें लगवाईं और हजारों लोगों को कर्नाटक भेजा पर येदियुरप्पा सरकार ने इसका कहीं विरोध नहीं किया। लोगों ने यह भी याद दिलाया कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोटा से बच्चों को लाने के लिए बसें भेजीं तो राजस्थान सरकार ने बसों की जांच नहीं करवाई थी। सो, प्रियंका की बसें नहीं स्वीकार कर यूपी सरकार ने सेल्फ गोल किया है। इसी तरह राहुल गांधी सड़क पर पैदल चल रहे मजदूरों से मिले तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल को ड्रामेबाज बताते हुए कहा कि राहुल ने मजदूरों का समय बरबाद किया। उनकी यह प्रतिक्रिया भी सेल्फ गोल थी। असल में उनको इस बात से परेशानी थी कि वे कई दिन से राहत पैकेज घोषित कर रही हैं और उस प्रेस कांफ्रेंस में लोग राहुल के बारे में सवाल पूछ रहे हैं। तभी उन्होंने इतनी तीखी प्रतिक्रिया दी। पर उसमें उन्होंने ऐसी बात कह दी, जिससे राहुल की बजाय वे खुद कठघरे में आ गईं।
क्या यह भाजपा सेल्फ गोल नहीं?
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