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वंशवाद से भाजपा की लड़ाई का तरीका

वंशवाद से लड़ने का भाजपा ने एक अनोखा तरीका ईजाद किया है। इसके तहत वह अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के बेटे-बेटियों को तो आगे बढ़ाती ही है साथ ही कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से बड़े नेताओं के बेटे-बेटियों का आयात करती है और उनको भी आगे बढ़ाती है। यह भाजपा का अनोखा तरीका है। उसके लिए वंशवाद सिर्फ भाजपा विरोधी पार्टियों में है और उन पार्टियों में वंशवाद का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता अगर भाजपा में आ जाएं तो फिर वे वंशवादी नहीं रह जाते हैं। जैसे कांग्रेस के दिग्गज एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी अब वंशवाद का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता नहीं हैं क्योंकि वे भाजपा में शामिल हो गए। इसी तरह चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के प्रपौत्र सीआर केशवन वंशवादी नहीं रहे क्योंकि वे भाजपा में शामिल हो गए हैं।

इससे पहले भी कांग्रेस के तमाम राजा, महाराजा और बड़े नेताओं के बेटे, बेटी, पत्नी आदि को भाजपा ने सहर्ष अपनी पार्टी में शामिल किया है और उन्हें बड़ा पद भी दिया है। आंध्र प्रदेश के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री रहे एनटी रामाराव की बेटी डी पुरंदेश्वरी भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री हैं और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एसआर बोम्मई के बेटे बसवराज बोम्मई भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। ग्वालियर नरेश स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं तो जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। पटियाला के महाराज कैप्टेन अमरिंदर सिंह पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं। अगले चुनाव में उनकी पत्नी या बेटा भाजपा से चुनाव लड़ें तो हैरानी नहीं होगी। इसके अलावा भाजपा के अपने और सहयोगी पार्टियों के नेताओं के बेटे-बेटियों की लंबी सूची है, जो किसी न किसी पद पर हैं।

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