पार्टियों के राजनीतिक कार्यकर्ता होते हैं या कर्मचारी? यह सवाल इसलिए है क्योंकि गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को तीन दिन की छुट्टी देने का ऐलान किया है। पार्टी कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को नहीं, बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को। यह हैरान करने वाली बात है। क्या पार्टी के पास फुल टाइम काम करने वाले कार्यकर्ता हैं, जिनको छुट्टी की जरूरत है? ध्यान रहे गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल हैं, जिनका काम करने का मॉडल पूर् देश में मशहूर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार इसका जिक्र किया है। एक सांसद के नेता वे अपने क्षेत्र के लोगों के लिए जिस तरह काम करते हैं वह कमाल का है।
इसलिए जब उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए छुट्टी का ऐलान किया तो उस पर सवाल उठे। उन्होंने कहा है कि पार्टी के कार्यकर्ता दो से चार मई तक छुट्टी करें क्योंकि अगले छह महीने उनको बिना रूके काम करना है। ध्यान रहे दिसंबर में गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। उसकी तैयारी शुरू होने से पहले उन्होंने कार्यकर्ताओं को छुट्टी दी है। अगर कार्यकर्ता कर्मचारी हैं तो उनको एक मई यानी मजदूर दिवस से ही छुट्टी देनी चाहिए थी लेकिन वह वैचारिक रूप से सही नहीं होता। बहरहाल, माना जा रहा है कि यह विपक्षी पार्टियों पर दबाव बनाने की एक मनोवैज्ञानिक पहल है क्योंकि कोई भी कार्यकर्ता हर दिन और सारे समय पार्टी का काम नहीं कर रहा होता है। इसलिए उसे तीन दिन की छुट्टी का कोई खास मतलब नहीं है।