भारतीय जनता पार्टी का मिशन राहुल अभी पूरा नहीं हुआ है। उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई है और वे कई तरह के कानूनी मुकदमों में उलझे हैं। सोशल मीडिया के प्रचार के जरिए राहुल को पप्पू और मंदबुद्धि साबित किया जा चुका है। इसके बावजूद उनके ऊपर काम चल रहा है। गुलाम नबी आजाद का ताजा बयान इसकी मिसाल है। ध्यान रहे राहुल गांधी पर हमला करके राहुल गांधी को कुछ हासिल नहीं होना है। उन्होंने जब कांग्रेस छोड़ी थी तभी पांच पन्नों की एक चिट्ठी सोनिया गांधी को लिखी थी और उस समय प्रेस कांफ्रेंस करके उन्होंने राहुल गांधी पर खूब भड़ास निकाली थी। राहुल को अपरिपक्व और ड्राइवर, बॉडीगार्ड्स की सलाह पर चलने वाला बताया था। लेकिन अब उसके छह महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद वे फिर राहुल के ऊपर हमलावर हैं।
कहा जा सकता है कि उनकी किताब आई है, जिसे प्रमोट करने के लिए वे विवादित बयान दे रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने एक योजना के तहत राहुल के खिलाफ बयान दिया और कहा कि वे और पार्टी के अन्य नेताओं ने राहुल की वजह से पार्टी छोड़ी थी। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल कभी संगठन के काम में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। बिना संगठन बनाए वे चुनाव जीतना चाहते हैं। आने वाले दिनों में इस तरह के और बयान आएंगे। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए दूसरे नेता आजाद के इस बयान की पुष्टि करेंगे। हालांकि हकीकत यह है कि कांग्रेस संगठन में चुनाव कराने सहित कई प्रयोग राहुल ने किए थे। लेकिन उनको बिगड़ा हुआ, वंशवादी, नकारा नेता साबित करने का प्रयास जारी है और ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा के बाद वे एक गंभीर राजनेता के तौर पर लिए जाने लगे हैं। लोगों की धारणा बदल रही ह और साथ ही राहुल की आक्रामकता भी बढ़ रही है। इसलिए उन्हें निशाने पर रखना जरूरी है।