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बंगाल में भाजपा की समानांतर सरकार

ByNI Political,
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बंगाल में भाजपा की समानांतर सरकार
कई बार संसद में और कई विधानसभाओं में देखने को मिला है कि सत्ता पक्ष किसी मसले पर बहस के लिए तैयार नहीं होता है तो विपक्षी नेता अपनी संसद जमा लेते हैं। वे संसद परिसर में या संसद स्थगित होने के बाद सदन में ही यह तमाशा करते हैं। भारतीय जनता पार्टी कुछ उसी तरह का तमाशा पश्चिम बंगाल में कर रही है। वह चुनाव हार गई तो उसने अपनी समानांतर सरकार बना ली है। राज्यपाल कार्यालय राज्य के मुख्यमंत्री सचिवालय की तरह काम करने लगा है और केंद्रीय एजेंसियों को राज्य के बाकी काम में लगा दिया गया है। केंद्र सरकार इसके जरिए अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को दिखाना चाह रही है कि लोगों ने हरा दिया तो क्या है भाजपा अब भी अपनी सरकार चला सकती है।

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तभी कोरोना वायरस की महामारी से लेकर राज्य के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा के मामले में मुख्यमंत्री से ज्यादा सक्रियता राज्यपाल दिखा रहे हैं। उन्होंने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और असम तक पहुंच गए, यह देखने कि पलायन कर रहे लोग वहां कैसे रह रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को सीधे निर्देश दिए और यह धमकी भी दी कि राज्य सरकार उनको अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर न करे।

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राज्यपाल ने ममता बनर्जी की पार्टी के विधायकों और मंत्रियों की सीबीआई जांच की मंजूरी भी दे दी। हालांकि उन्होंने तृणमूल छोड़ कर भाजपा में गए शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय को जांच से अलग रखा। इस बीच केंद्र सरकार ने सीबीआई, ईडी, आय कर विभाग और डीआरआई के कार्यालयों की सुरक्षा बढ़ा दी है। वहां केंद्रीय सुरक्षा बल सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं। राज्य के 75 भाजपा विधायकों और 18 सांसदों को पहले ही सीआरपीएफ की सुरक्षा दे दी गई है। भाजपा के और भी नेताओं को सीआरपीएफ की सुरक्षा में रखा गया है। इस तरह राज्य में भाजपा की समानांतर सरकार है और समानांतर सुरक्षा व्यवस्था भी है।
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