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मंदिर बनना है या भाजपा मुख्यालय?

ByNI Political,
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मंदिर बनना है या भाजपा मुख्यालय?
अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर निर्माण के लिए बने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक अहम बैठक शनिवार को हुई, जिसमें फैसला किया गया कि अगस्त के पहले हफ्ते में मंदिर का शिलान्यास होगा। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेजा गया है। उन्हें तीन और पांच अगस्त की दो तारीख दी गई है कि इसमें से जो भी तारीख उनके अनुकूल हो उस दिन राम मंदिर का शिलान्यास करने के लिए वे आएं। इससे पहले खबर आई थी कि ट्रस्ट के लोगों ने और पहले से मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों ने उनको निमंत्रण भेजा है और यह भी कहा गया है कि ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होने दी जाएगी। बहरहाल, असली बात यह है कि प्रधानमंत्री से शिलान्यास का समय मांगना या मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मस्थान पर बनने वाले ऐतिहासिक मंदिर की गरिमा के अनुकूल है? क्या होगा अगर तीन या पांच अगस्त को प्रधानमंत्री के पास समय न हो? वे देश के प्रधानमंत्री हैं और उनकी ढेरों राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं हैं तो क्या उनके पास समय नहीं होगा तो शिलान्यास टल जाएगा? क्या मंदिर के शिलान्यास का कायदा यह नहीं होना चाहिए था कि ट्रस्ट की ओर से कोई एक शुभ दिन तय किया जाता और उस दिन चाहे प्रधानमंत्री को समय हो या नहीं, शिलान्यास कर दिया जाता? यह मंदिर निर्माण का मामला है, जिसमें शुभ तिथि और समय महत्वपूर्ण है व्यक्ति नहीं। हालांकि मंदिर निर्माण का मसला इतना बड़ा है और राजनीतिक रूप से इतना चर्चित है कि प्रधानमंत्री को समय देने में कोई दिक्कत नहीं होगी पर मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट और दूसरे लोगों ने इसे राजनीतिक रूप दे दिया है। यह सही है कि मंदिर निर्माण का सुप्रीम कोर्ट का फैसला नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते आया है पर असल में मंदिर निर्माण का श्रेय तो दिवंगत अशोक सिंघल और भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी को जाता है, जिन्होंने इसे जन आंदोलन बनाया था। पर यह कहीं देखने को नहीं मिला कि मंदिर निर्माण से जुड़े लोगों ने आडवाणी को प्राथमिकता दी है।
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