मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बेबाकी से स्वीकार किया है कि उनको अंदाजा नहीं था कि 22 विधायक टूट जाएंगे। आमतौर पर नेता अपनी गलती या विफलता स्वीकार नहीं करते हैं। कमलनाथ ने स्वीकार की यह अच्छी बात है पर आगे उन्होंने जो कहा उसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि उपचुनावों के बाद राज्य में भाजपा की सरकार नहीं रहेगी। ऐसी झूठी उम्मीदें लगता है कि कमलनाथ ने ही कांग्रेस आलाकमान को भी बंधाई हुई है।
कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि पार्टी आलाकमान को सचमुच लग रहा है कि 24 सीटों के उपचुनाव के बाद राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार बन जाएगी। तभी पार्टी ने कोरोना वायरस के संकट के बीच में राज्य का प्रभारी बदला। राहुल गांधी के करीबी दीपक बाबरिया को हटा कर पार्टी के पुराने और आजमाए हुए नेता मुकुल वासनिक को प्रभारी बनाया गया। वे सोनिया गांधी की पुरानी टीम के सदस्य हैं।
सोनिया जब पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बनी थीं तब उनकी टीम में सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक थे। बहरहाल, कांग्रेस नेता मध्य प्रदेश को लेकर झूठा भ्रम पाल रहे हैं। प्रदेश में भाजपा के 106 विधायक हैं और पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए पार्टी को 24 खाली सीटें में से सिर्फ दस पर जीत हासिल करनी है। दूसरी ओर कांग्रेस को बहुमत हासिल करने के लिए सारी सीटें जीतनी होंगी, जो कि नामुमकिन है। कर्नाटक का नतीजा सबसे सामने है। वहां 15 सीटों के उपचुनाव में से सत्तारूढ भाजपा 12 पर जीती।