बिहार विधानसभा के साथ साथ कई राज्यों में उपचुनाव हो रहे हैं। विधानसभा की 56 सीटों पर उपचुनाव होना है और एक लोकसभा सीट पर भी बिहार में वोटिंग होगी। उन अहम उपचुनावों से पहले कई तरह के राजनीतिक दांवपेंच चले जा रहे हैं। या कम से कम ऐसा दावा किया जा रहा है, जैसे उपचुनावों के कारण बड़ी घटनाएं हो रही हैं। जैसे कर्नाटक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के यहा सीबीआई ने छापा मारा तो कांग्रेस के नेताओं ने इसे उपचुनावों से जोड़ दिया। राज्य में दो विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव है। सो, कांग्रेस का कहना है कि उपचुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के यहा सीबीआई की छापेमारी हुई है।
ऐसे ही हरियाणा की बरोद सीट पर उपचुनाव होना है और उससे पहले हरियाणा और पंजाब में किसान आंदोलन तेज हो गया है। सो, भाजपा ने किसान आंदोलन में राहुल गांधी की सक्रियता को बरोद सीट के उपचुनाव से जोड़ दिया है। यहां तक कि हरियाणा सरकार ने कहा है कि अगर राहुल गांधी पंजाब से बड़ी संख्या में लोगों को लेकर हरियाणा में ट्रैक्टर रैली के लिए आना चाहते हैं तो उन्हें नहीं आने दिया जाएगा। उधर उत्तर प्रदेश में हाथरस की घटना को भी सात सीटों के उपचुनाव से जोड़ दिया गया है। राज्य सरकार का कहना है कि सरकार को बदनाम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साजिश रची गई थी और जातीय व धार्मिक दंगे कराने का प्रयास किया गया था। राज्य की पुलिस ने इस सिलसिले में 19 एफआईआर दर्ज की है। भाजपा का कहना है कि सात सीटों के उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
उपचुनावों के लिए राजनीतिक दांवपेंच
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