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उपचुनावों की गिनती क्या साथ ही होगी?

ByNI Political,
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उपचुनावों की गिनती क्या साथ ही होगी?
केंद्रीय चुनाव आयोग ने देश के करीब एक दर्जन राज्यों की 64 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनावों के बारे में कहा है कि यह बिहार विधानसभा चुनाव के आसपास ही होगा। आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है अर्धसैनिक बलों और बाकी सामानों की आवाजाही की सुगमता के कारण ऐसा किया जाएगा। इसमे दो बातें अस्पष्ट हैं। पहली तो यह कि चुनाव आसपास होने का क्या मतलब है? बिहार में चुनाव कई चरणों में होंगे तो उपचुनाव किसी एक चरण के साथ हो जाएंगे या उपचुनाव भी कई चरणों में होंगे? और दूसरा यह कि उपचुनावों की गिनती बिहार की गिनती के साथ होगी या अलग होगी? इस दूसरे सवाल का जवाब बेहद अहम है। बिहार में विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को पूरा हो रहा है। इस समय बिहार के कई हिस्सों में बाढ़ है और बाढ़ का पानी उतरने में थोड़ा समय और लगेगा। उसके अलावा कोरोना वायरस का प्रकोप भी बहुत है। सो, चुनाव आयोग को बहुत सोच समझ कर चुनाव का शिड्यूल तैयार करना होगा। माना जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होगा। यह भी कहा कहा जा रहा है कि 14 नवंबर को होने वाली दिवाली से पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी होगी क्योंकि उसके बाद पूरा बिहार छठ की तैयारी में लग जाता है, जो कि 21 नवंबर को है। उपचुनावों के वोटों की गिनती का समय इसलिए अहम है क्योंकि अगर गिनती बिहार के साथ होती है कि मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना होगा। कांग्रेस पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा देकर मध्य प्रदेश सरकार में शामिल हुए तुलसी राम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने मंत्री के रूप में 21 अप्रैल को शपथ ली थी। अगर 21 अक्टूबर तक वे विधायक नहीं बनते हैं तो उनको इस्तीफा देना होगा। ये दोनों ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबी नेता हैं, तभी इनको पांच लोगों की पहली मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। मौजूदा स्थिति को देखते हुए लग नहीं रहा है कि चुनाव आयोग बिहार की चुनाव प्रक्रिया 21 अक्टूबर से पहले पूरी कर पाएगा। सो, भले थोड़े समय के लिए ही सही पर इन मंत्रियों का इस्तीफा होगा। क्योंकि अगर उपचुनावों की गिनती अलग और बिहार से पहले कराने का फैसला होता है तो उसका बहुत विरोध होगा क्योंकि उसके नतीजे चुनाव पर असर डालने वाले होंगे।
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