छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो गई है। तीन नवंबर को मतदान होगा और छह नवंबर को नतीजे आएंगे। आमतौर उपचुनावों में लोगों की दिलचस्पी ज्यादा नहीं रहती है खासकर उन राज्यों में, जहां नतीजों से सरकार के बहुमत पर असर न पड़ता हो। तभी उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत भी बहुत कम रहता है। इस बार भी सात में से चार सीटें ऐसी हैं, जिनको लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं है और जिनके कोई खास राजनीतिक मायने नहीं हैं। लेकिन तीन सीटें ऐसी हैं, जो आगे के चुनाव के रिहर्सल की तरह हैं और इनके नतीजे पर कई पार्टियों की किस्मत टिकी है।
पहले उन सीटों की बात, जिनको लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। उत्तर प्रदेश की गोला गोरखनाथ सीट, बिहार की मोकामा और गोपालगंज सीट और ओड़िसा की धामनगर सीट। इन चार सीटों पर रूटीन का चुनाव होगा। थोड़ी बहुत दिलचस्पी अगर होगी भी तो बिहार की दोनों सीटों पर होगी क्योंकि जदयू के भाजपा से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाने के बाद पहला चुनाव हो रहा है। एक तरफ सत्तारूढ़ महागठबंधन यानी राजद, जदयू, कांग्रेस और लेफ्ट का मोर्चा होगा तो दूसरी ओर अकेले भारतीय जनता पार्टी होगी। भाजपा इन दोनों सीटों पर किस तरह से लड़ती है, कैसा उम्मीदवार उतारती है और कितना टक्कर दे पाती है, यह देखने वाली बात होगी। ध्यान रहे पिछले महीने अमित शाह ने बिहार का दौरा किया था और 11 अक्टूबर को जेपी जयंती पर वे फिर बिहार जाने वाले हैं।
छह राज्यों की जिन सात सीटों पर चुनाव होना है उनमें असली दिलचस्पी वाली सीटें हरियाणा की आदमपुर, तेलंगाना की मुनुगोडा और महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट सीट है। अलग अलग कारणों से तीनों का चुनाव बहुत दिलचस्प होगा। ध्यान रहे तेलंगाना की मुनुगोडा सीट कांग्रेस के विधायक के राजगोपाल रेड्डी के इस्तीफे से खाली हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों मुनुगोडा में रैली की और रेड्डी को अपनी पार्टी में शामिल करा कर उनको उम्मीदवार बनाया। इस सीट पर कांग्रेस लड़ाई से बाहर है और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति की लड़ाई भाजपा से है। अगर भाजपा यह सीट जीतती है तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में टीआरएस को बड़ी मुश्किलों का सामना करने पड़ेगा।
हरियाणा की आदमपुर सीट भी कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफे से खाली हुई है। वे भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। यह सीट पिछले करीब छह दशक से बिश्नोई का परिवार जीत रहा है। इस बार बिश्नोई के सामने भाजपा की टिकट पर यह सीट जीतने की चुनौती है तो कांग्रेस के भूपेंदर सिंह हुड्डा को अपनी ताकत दिखानी है। आम आदमी पार्टी ने भी इसे अपने लिए हरियाणा का गेटवे कहा है। महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट सीट पर शिव सेना के दोनों गुटों के बीच अस्तित्व की लड़ाई है। पहली बार उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट भिड़ेंगे और इसी चुनाव में असली शिव सेना का फैसला हो जाएगा।
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