देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नागरिकता कानून का विरोध करने और उसके खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाले दो राज्यों- केरल और पंजाब के खिलाफ तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कोई भी राज्य संशोधित नागरिकता कानून को लागू करने से इनकार नहीं कर सकता है। इसके बाद उन्होंने बहुत विस्तार से बताया कि पिछले छह साल में कितने लोगों को भारत की नागरिकता दी गई है।
वित्त मंत्री ने बताया कि पिछले छह साल में भारत ने कुल 3924 विदेशियों को भारत की नागरिकता दी है, जिनमें 566 मुस्लिम हैं। निर्मला ने बताया कि 2838 पाकिस्तानी, 914 अफगानी और 172 बांग्लादेशियों को भारत ने पिछले छह साल में नागरिकता दी है। उन्होंने गृह मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले बताया कि सिर्फ पिछले दो साल में करीब 16 सौ पाकिस्तानियों को भारत की नागरिकता दी गई है।
अब इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वित्त मंत्री नागरिकता कानून के बारे में बात कर सकती है। पर देश इस समय उनसे आर्थिक मामलों के बारे में सुनना चाहता है। देश का बजट तैयार हो रहा है और एक फरवरी को वित्त मंत्री उसे पेश करेंगी। पर उसके बारे में बात करने, देश की आर्थिक दशा पर लोगों को भरोसा दिलाने, रोजगार की चिंता दूर करने की बजाय वित्त मंत्री का ज्यादा ध्यान नागरिकता के मसले पर है।
इससे सवाल उठ रहा है कि क्या सचमुच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको बजट की चिंताओं से मुक्त कर दिया है और अगली फेरबदल में मंत्रालय से भी मुक्त कर देंगे? ध्यान रहे पिछले एक महीने में बजट को लेकर जितनी एक्सरसाइज हुई है उसमें वित्त मंत्री की उपस्थिति नगण्य रही है। प्रधानमंत्री के अलावा पीयूष गोयल सबसे ज्यादा सक्रिय दिखे हैं। तभी चर्चा है कि दो बार कार्यकारी वित्त मंत्री के तौर पर काम कर चुके गोयल की पूर्णकालिक मंत्री के तौर पर वापसी हो सकती है। पर यह कब होगा, इस बारे में कोई पक्के तौर पर नहीं बता पा रहा है। पर इतना तय माना जा रहा है कि एक फरवरी को निर्मला सीतारमण ही बजट पेश करेंगी।