कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बुलाई विपक्षी पार्टियों की बैठक में कई पार्टियों के नेता शामिल नहीं हुए। इन सबके अपने अपने कारण हैं। बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कहा कि वे राजस्थान में अपनी पार्टी तोड़े जाने से नाराज थीं और इसी वजह से इस बैठक में पार्टी को नहीं भेजा। पर यह सिर्फ कहने की बात है वे ज्यादा नाराज इस बात से हैं कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा की सक्रियता से उनके वोट बैंक पर बड़ा असर हो रहा है। शिव सेना के नहीं शामिल होने का कारण भी स्पष्ट है। वह नागरिकता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर अपनी पुरानी हिंदुत्व की लाइन छोड़ने को तैयार नहीं है।
पर असली सवाल तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और आप नेताओं की गैरहाजिरी का है। ये तीनों नागरिकता कानून का विरोध भी कर रहे हैं पर नागरिकता कानून पर विचार के लिए बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल भी नहीं हुए। असल में दिल्ली में इस समय विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं और पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु में अगले साल चुनाव होने वाले हैं। इसलिए इन तीनों राज्यों की पार्टियां नागरिकता कानून को लेकर ज्यादा आशंकित हैं। उनको अंदेश है कि नागरिकता कानून अगर चुनावी मुद्दा बना तो सांप्रदायिक आधार पर बड़ा ध्रुवीकरण हो सकता है। तभी ये नेता किसी ऐसे प्लेटफार्म पर नहीं जाना चाहते हैं, जहां ये कांग्रेस के साथ दिखें और भाजपा को इसे मुद्दा बनाने का मौका मिले।