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सीएए को लेकर भाजपा दुविधा में

ByNI Political,
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सीएए को लेकर भाजपा दुविधा में
भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भले कह दिया है कि जनवरी से संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए बंगाल में लागू हो जाएगा। लेकिन पार्टी अभी इसे लेकर दुविधा में है। तभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी पिछली सभा में इसके लिए स्पष्ट डेडलाइन देने की बजाय गोलमोल जवाब दिया और कहा कि कोरोना वायरस का टीका लगना शुरू होने के बाद सीएए लागू होगा। टीका लगना तो हो सकता है कि जनवरी में शुरू हो जाए पर बंगाल में कब लगेगा और हर आदमी को दो डोज लगने है क्योंकि उससे पहले सुरक्षा नहीं है तो इसमें बहुत समय लगना और तब तक चुनाव आ जाएगा। असल में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को असम से दूसरी फीडबैक मिली है। असम में भाजपा नेताओं का मामला है कि अगर बगल के राज्य पश्चिम बंगाल में सीएए लागू किया जाता है तो असम में इसके विरोध में आंदोलन और तेज होगा। वैसे भी कोरोना की वजह से इसके खिलाफ जो आंदोलन थम गया था वह फिर शुरू हो गया है। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन यानी आसू ने आंदोलन चालू कर दिया है और कृषि मुक्ति संग्राम से जुड़े छात्र मुक्ति संग्राम समिति ने 24 से 31 दिसंबर तक आंदोलन चलाने का ऐलान किया है। ध्यान रहे सीएए का सबसे ज्यादा विरोध असम में हुआ था और आगे भी होगा क्योंकि वहां के स्थानीय लोगों को लग रहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम को भारत की नागरिकता देने वाले इस कानून से असम में इतने लोगों को नागरिकता मिल जाएगी असम की भाषा और स्थानीय संस्कृति खत्म हो जाएगी या स्थानीय लोग अल्पसंख्यक हो जाएंगे। किसी तरह से राज्य की भाजपा सरकार मुद्दे को चुनाव तक रफा-दफा करने में लगी है। तभी पूर्वोत्तर में भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में सीएए, एनआरसी अब कोई मुद्दा नहीं है। पर पार्टी नेताओं को खटका है कि अगर बंगाल में इसे लागू किया गया तो असम में तीखी प्रतिक्रिया होगी। अब भाजपा को तय करना है कि वह बंगाल में हवा बनाने के लिए असम में हवा बिगाड़ने का जोखिम लेती है या नहीं।
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