अब यही बचा था कि कोई विदेशी कंपनी अपना बकाया पैसा वसूलने के लिए भारतीय कंपनियों की संपत्ति जब्त करने की पहल करे। पिछले सात साल से सुनने को मिल रहा है कि विदेश में भारत का डंका बज रहा है। लेकिन लगता है कि ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी को यह डंका सुनाई नहीं दे रहा है। उसने अमेरिका की एक अदालत में एक मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया की कानूनी स्थिति तय करने को कहा गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कंपनी एयर इंडिया के विमानों और विदेश में स्थित उसकी संपत्ति जब्त करके अपना बकाया वसूल सके।
असल में पिछले साल हेग की अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने कंपनी ने एक मुकदमा जीता है, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के तौर पर कंपनी से जो पैसा वसूला है वह उसे वापस करे। कंपनी का भारत के ऊपर 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का दावा बन रहा है। केयर्न एनर्जी ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बना दिया है। उसने कई देशों में इससे जुड़े मुकदमे दर्ज कराए हैं। अगर न्यूयॉर्क की अदालत में दायर किए गए मुकदमे से एयर इंडिया की कानूनी स्थिति यह तय होती है कि उसकी संपत्ति भारत सरकार की संपत्ति है तो कंपनी उसे जब्त करके अपना बकाया वसूलने की पहल करेगी। बहरहाल, फैसला चाहे जो भी आए लेकिन यह पूरा मामला सरकार के लिए शर्मिंदगी का होना चाहिए पर ऐसा लग नहीं रहा है कि किसी को इसकी परवाह है।
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