लालू प्रसाद ने बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद 1990 में कहा था कि वे 20 साल तक राज करेंगे। उन्होंने मंडल की राजनीति के दम पर 20 साल तक बिहार और केंद्र में राज भी किया। अब उनकी जगह उनके बेटे तेजस्वी यादव मंडल मसीहा बनने का प्रयास कर रहे हैं। लालू प्रसाद की सेहत ठीक नहीं है और सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हैं। वे राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जरूर हैं लेकिन राजनीति की कमान पूरी तरह से उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में हैं। तेजस्वी पिछले कुछ दिनों से बिहार में नए किस्म की राजनीति कर रहे थे। वे मंडल की राजनीति से आगे निकलते दिख रहे थे। Tejashwi yadav mandal politics
तेजस्वी ने बिहार की अगड़ी जातियों को भी मैसेज दिया था कि वे समावेशी राजनीति करेंगे। लेकिन जातीय जनगणना की मांग ने उनको एक मौका दिया है कि वे मंडल की राजनीति करें और नब्बे के दशक की राजनीति को बिहार में जिंदा कर दें। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनको यह मौका उपलब्ध कराया। ध्यान रहे नीतीश कुमार जाति जनगणना की मांग करने के लिए बिहार की सभी पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए थे। उसमें तेजस्वी यादव भी शामिल थे।
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अब तेजस्वी ने जाति जनगणना की मांग को लेकर देश के 33 नेताओं को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने सोनिया गांधी से लेकर अखिलेश यादव और सीताराम येचुरी से लेकर एमके स्टालिन तक को चिट्ठी लिख कर जाति जनगणना की मांग पर एक होने और इसे सुनिश्चित कराने के प्रयास करने को कहा है। उन्होंने जाति की गिनती को इन सभी पार्टियों का साझा सरोकार बताते हुए खुद को इसके केंद्र में रखा है। कई और पार्टियां इसकी मांग कर रही हैं इसलिए आने वाले दिनों में यह मामला जोर पकड़ेगा लेकिन तेजस्वी का मकसद मंडल मसीहा के तौर पर सिर्फ बिहार और झारखंड की राजनीति साधने का है। उन्होंने पिछले दिनों झारखंड का भी दौरा किया और ज्यादा बड़े पैमाने पर राजनीति करने का मैसेज भी दिया। जाति जनगणना का मुद्दा उनको बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में मजबूती दिला सकता है।