क्या केंद्र सरकार एक बार फिर वैक्सीनेशन की अपनी नीति बदलेगी? यह लाख टके का सवाल है, जिस पर सरकार के जानकार सूत्रों का कहना है कि गंभीरता से विचार किया जा रहा है। ध्यान रहे पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। सर्वोच्च अदालत ने कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता से लेकर वैक्सीन के दाम और राज्यों की खरीद के मसले पर केंद्र से सवाल पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में वैक्सीन के दाम एक क्यों नहीं होने चाहिए। इस बीच दूसरा संकट यह हुआ है कि राज्यों के ग्लोबल टेंडर पर कहीं से जवाब नहीं मिल रहा है। कंपनियां राज्यों को वैक्सीन नहीं बेचना चाहती हैं या वैक्सीन के बहुत दाम बता रही हैं।
पिछले दिनों दिल्ली और पंजाब ने बताया कि फाइजर और मॉडर्ना ने राज्यों के साथ वैक्सीन का सौदा करने से मना कर दिया है। इस बीच बृहन्नमुंबई महानगरपालिका, बीएमसी ने वैक्सीन का अपना अलग टेंडर निकाला था, जिसमें वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की बजाय ज्यादातर आपूर्तिकर्ताओं यानी सप्लायर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स ने टेंडर डाले और एक डोज के लिए सात से सौ 27 सौ रुपए तक की कीमत बताई। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने टेंडर निकाला था, लेकिन कोई कंपनी सामने नहीं आई। इसके बाद राज्य ने 21 मई की तारीफ को 31 मई तक बढाया और अब फिर 10 जून तक बढ़ा दिया गया है लेकिन कोई भी कंपनी टेंडर में हिस्सा लेने नहीं आई है। तभी ऐसा लग रहा है कि वैक्सीन खरीद, कीमत और पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को लेकर केंद्र सरकार अपनी नीतियों में थोड़ा बहुत बदलाव कर सकती है।
केंद्र की वैक्सीनेशन नीति बदलेगी!
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