जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार पंचायत के चुनाव कराने जा रही है। उप राज्यपाल प्रशासन की ओर से चुनाव की तारीखें तय हो गई हैं। कहा जा रहा है कि फरवरी-मार्च में पंचायत के 12 हजार से ज्यादा पदों के लिए चुनाव होगा। पिछले साल मई में राज्य में लोकसभा का चुनाव भी हुआ है और शहरी निकायों के चुनाव भी हुए हैं। पर इस बात का कोई संकेत नहीं है कि राज्य में विधानसभा का चुनाव कब होगा। अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने और राज्य का बंटवारा करके दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के समय सरकार ने कहा था कि वह जल्दी ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेगी। वहां जल्दी ही चुनाव की भी बात कही गई थी पर छह महीने बाद भी चुनाव की कोई सुगबुगाहट नहीं है।
ध्यान रहे राज्य में विधानसभा नवंबर 2018 से भंग है। अगर विधानसभा भंग नहीं की गई होती तब भी इस साल के अंत में विधानसभा का छह साल का कार्यकाल पूरा हो रहा था। पर अब चूंकि जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो चुका है इसलिए छह साल के कार्यकाल का भी कोई मतलब नहीं होता। सरकार सुरक्षा और शांति के हवाले चुनाव टाल रही है। सवाल है कि अगर लोकसभा का चुनाव हो सकता है, शहरी और पंचायती निकायों को चुनाव हो सकते हैं तो विधानसभा का चुनाव कराने में क्या दिक्कत है? बताया जा रहा है कि पहले परिसीमन होगा, फिर चुनाव होगा। परिसीमन कब होगा, यह किसी को पता नहीं है।