अब यह लगभग तय हो गया है कि केंद्र सरकार अगले दो साल तक बिना मुस्लिम मंत्री के होगी। यह कोई अनायास नहीं हुआ है। एक रणनीति के तहत सरकार के आखिरी मुस्लिम मंत्री को बाहर किया गया है। कुछ समय पहले तक की केंद्र सरकार में दो मुस्लिम मंत्री थे। एमजे अकबर और मुख्तार अब्बास नकवी सरकार में मंत्री होते थे। कुछ महिलाओं के आरोपों की वजह से पहले अकबर की छुट्टी हुई और उसके बाद अब नकवी की विदाई हो गई है। अगले दो साल तक यह स्थिति इसलिए रहनी है क्योंकि भाजपा में अब कोई मुस्लिम सांसद ही नहीं है। पार्टी ने किसी को लोकसभा की टिकट नहीं दी थी और राज्यसभा के तीनों सदस्य- एमजे अकबर, मुख्तार अब्बास नकवी और सैयद जफरूल इस्लाम रिटायर हो गए।
भाजपा ने अपने तीनों राज्यसभा सांसदों में से किसी को फिर से टिकट नहीं दी। नकवी को रामपुर लोकसभा सीट से लड़ाने की बात थी लेकिन वह नहीं हुआ। इसका मतलब कि भाजपा ने जान-बूझकर ऐसी स्थिति बनाई है कि उसकी पार्टी में कोई मुस्लिम सांसद नहीं रहे और न कोई मुस्लिम मंत्री बने। असल में अगले लोकसभा चुनाव की थीम ही हिंदू बनाम मुस्लिम का नैरेटिव है। नरेंद्र मोदी की कमान में भाजपा ने पहला चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा था। अगले चुनाव में उसे छोड़ दिया गया और केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों के नाम पर चुनाव लड़ा गया। इस बार हिंदू-मुस्लिम के स्पष्ट विभाजन के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाना है। इसलिए सरकार में प्रतीकात्मक रूप से भी कोई मुस्लिम चेहरा नहीं रखना है।